
जोधपुर में शुक्रवार 20 दिसंबर 2019 को जो कुछ किया गया, वह निदंनीय है। धिक्कारनीय है। उस की जितनी निंदा की जाए, कम है। मुट्ठी भर सिरफिरों ने अपणायत के इस शहर पर खरोंच लगाने की जो नापाक कोशिश की उसे माफ नहीं किया जा सकता। इस के बावजूद हम यह बात ताल ठोक कर कह सकते हैं कि ये वो शहर है जहां सड़क के इस ओर मस्जिद से नमाज की आवाज गूंजती है – सड़क के उस ओर मंदिर से आरती और टंकोरे की टंकार। सिरफिरों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि यहां दिवाली की चक्कियां और ईद की सेवईयां मिल बैठकर खाई जाती है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।
देश में इन दिनों नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर एक वर्क विशेष के लोग खामखा उत्पात मचा रहे हैं। कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थ की खातिर उनका इस्तेमाल कर रहे हैं और उपद्रवी लोग उनके हाथों में खेल रहे हैं। आरोप तो यहां तक हैं कि इन तत्वों को हिंसा, आगजनी और तोडफ़ोड़ करने के लिए पैसे दिए जाते हैं। ये सिरफिरे चंद रूपयों के लालच में देश का अमन चैन छीनने के प्रयास में लगे हैं। ना इनका कोई नेता। ना कोई नेतृत्व। ना कोई आगीवाण। भीड़तंत्र के पास पथराव और आगजनी के अलावा और कोई काम नहीं रह गया। भीड़ में शामिल किसी भी तत्व को नागरिकता संशोधन कानून अथवा एनआरसी के बारे में पूछ कर देख ल्यो। उन्हें इसका ककहरा भी पता नहीं और विरोध कर रहे हैं।
सिरफिरे तो सिरफिरे उन्हें हांकने वाले लोग भी इनके बारे में नहीं जानते हैं मगर भेड़ चाल चालू है। भीड़ चाल चालू है। उन तत्वों को इतनी भी शर्म नहीं कि वो जिस संपत्ति का नुकसान कर रहे है वो अपनी हैं। वो जिस स्थान पर हिंसा फैला रहे हैं वो अपना है। ये देश अपना है। इस देश की माटी खा कर वो मोट्यार हुए। इस देश की धरती पर वो गोडालिया…गोडालिया चले। जिस देश ने तुम्हें पाला-पोसा। जिस देश में तुम सुरक्षित हो। जो देश वटवृक्ष बन कर तुम्हें फल और छाया दे रहा है। तुम उन्हीं की साखें काटने पर तुले हो। शरम आती है – तुम्हारी इन करतूतों पर। तुम्हारे उन पुरखों की रूह कलप रही होगी जिन्होंने इस देश को सींचने में अपना अहम योगदान दिया। उन पुरखों की आत्मा तुम्हें धिक्कार रही होगी, जिन्होंने अपने खून पसीने से इस देश को सींचा।
जो लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं कोई उन से पूछ कर देखे कि ऐसा क्यूं कर रहे हो तो बगले झांकने लगेंगे। नागरिकता संशोधन कानून से उनके हितों और अधिकारों पर तनिक भी आंच नहीं आणी है। इसके बावजूद वो पता नहीं क्यूं उछल रहे हैं। उन की नासमझी और घटिया हरकतों के कारण चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। चंद सिरफिरों की वजह से पूरी कौम बदनाम हो रही है मगर वो सियासत अलियों की गंदी सियासत का शिकार होते जा रहे हैं। वो भूल रहे हैं कि इन्हीं लोगों ने तुम्हारी जमात का इस्तेमाल सिर्फ वोटों के लिए किया। तुम्हें अपना जर खरीद गुलाम समझ के रखा। ये वही लोग हैं जिन्होंने बरसों से तुम्हारा शोषण किया और तुम आज भी उन्हीं के हाथों की कठपुतली बने बैठे हो।
हथाईबाजों ने शुक्रवार को अपणायत के लिए जगचावे शहर जोधपुर में इन सिरफिरों का उत्पात देखा। बहकावे और दो सौ-चार सौ रूपड़की के लिए जुटी भीड़ ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जिस प्रकार उत्पात मचाया वह अति निंदनीय है। कौम के बुजुर्गो को नई नसल को गुमराह होने से बचाना होगा वरना इस का खामियाजा पूरी जमात को भुगतना पड़ेगा। जोधपुर जैसे शांत और अपणायत भरे शहर में ऐसी करतूतें ठीक नही हैं।
जोधपुर क्या देश-दुनिया के किसी भी हिस्से में हिंसा और आगजनी की वारदातें होना उचित नहीं है। तिस में जोधपुर तो अपनापे के लिए सात समंदर तक चावा है। ये वो शहर है जिस का बेटा सूर्यप्रकाश बिस्सा शीन काफ निजाम के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध है। ये वो शहर है जहां बोहराजी और मेहरसाब चांतरी पे बैठकर शतरंज खेलते है। मेहरानगढ़ हादसे के दौरान पूरा शहर एक पांव पे खड़ा हो गया था। पूर्व राजकुंवर शिवराज सिंह के लिए आखे शहर ने प्रार्थना-दुआ की थी। ये वो शहर है जहां मीना और मेहरूनिशा साथ बैठ के भोजन करती हैं। ये वो शहर है जहां नमाज और पूजा एक साथ होते है। इस शहर की अपणायत पर खरोंच बर्दाश्त नहीं। शहर क्या देश के किसी भी क्षेत्र में ऐसी हरकतें सहन करने योग्य नहीं। कानून तो अपना काम करेगा ही समाज के बुद्धिजीवियों को भी इस के लिए आगे आना होगा।