छोटी बातों में दूसरों को हराने की कोशिश में हम हार जाते हैं : समकित मुनि

चित्तौडग़ढ़। जैन आगामज्ञाता संत डॉ. समकित मुनि ने कहा कि छोटी छोटी बातों में दूसरों को हराने की कोशिश में हम खुद हार जाते हैं। शांति व प्रगति के लिए कलह के बजाय सुलह का मार्ग ही श्रेयस्कर है। खातर महल में चातुर्मासिक प्रवचन शृंखला समकित के संग समकित के यात्रा के तहत गुरुवार को उन्होंने कहा कि सामने वाला गुस्से में बोल रहा है तब भी उसे हम प्रेम से कह सकते हैं। इसी में फायदा है।

कलह नहीं सुलह के मार्ग पर चलना चाहिऐ। अपने व्यवसाय को अपनी नीतियों से चलाना चाहिए न कि दूसरे की देखादेखी या नकल करके। उन्होंने कहा कि ‘जैसे तुम वैसे हमÓ। यह सिद्वांत नुकसानदेह है। कोई हमसे अकड़ के गुस्से में बात करता है तो हम भी उसी अनुरूप गुस्सा कर लेते हैं। इंसान का अभिमान सही फैसले नहीं लेने देता। जिद की दीवार इतनी लंबी हो जाती है। रिश्तों को बनाए रखने व संम्भालने के लिए भले दो कदम पीछे हटाने पड़े या थोड़ा झुकने पड़े। इसमें शर्म की कोई बात नहीं।

जिद और अभिमान साथ होकर टकराएंगे तो रिश्तों में विस्फोट होना निश्चित है। प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि सभा में जैन संस्कृति तीर्थ द्वारा नासिक के वरिष्ठ श्रावक कांतिलाल लोढ़ा को नासिक चातुर्मास में श्रेष्ठ सेवाओं के लिए संघ रत्न एवं श्रावक मनोज शांतिलाल चोरडिय़ा को संघ गौरव की उपाधि से अलंकृत किया गया।

स्थानीय संघ अध्यक्ष हस्तीमल चौरडिय़ा, रोशनलाल मेहता,डॉ आरएल मारू, सुधीर जैन, पदम मेहता, कमल मेहता, द्वारा अभिनंदन पत्र भेंटकर मेवाड़ी पाग पहनाकर स्वागत किया गया। प्रवचन में भवान्त मुनि,साध्वी विशुद्धि व साध्वी विशाखा भी विराजित रहे। संचालन अध्यक्ष हस्तीमल चौरडिय़ा ने किया। जैन दिवाकर श्री चौथमल जी मसा के 144 वीं जयंती महोत्सव के कार्यक्रम भी शुरू हो गए है। इसके तहत शुक्रवार को गुप्त एकासन आराधना होगी। मुख्य समारोह 17 नवंबर को होगा।

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