नेपाल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में हलचल

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काठमांडू। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव ने राजनीतिक समीकरण ऐसे बदल कर रख दिए कि शक्ति संतुलन डगमगाता दिख रहा है। बदलते घटनाक्रम से सत्ताधारी के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन में भी खलबली मच गई है। राष्ट्रपति पद के लिए प्रमुख दल अपने-अपने उम्मीदवार को साझा उम्मीदवार बनाने को प्रयासरत हैं।

ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन (एमसी) और शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस, चुनाव से पहले वाले गठबंधन को जारी रखने की मंशा रखती है। वे राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार तय करने व राजनीतिक लेन-देन से समझौता करने के लिए गुरुवार शाम तक लिखित सहमति देने जा रहे हैं।

कांग्रेस के प्रभावशाली नेता बिमलेंद्र निधि ने कहा कि सीपीएन (एमसी) ने राष्ट्रपति पद पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देकर पुराने गठबंधन को बरकरार रखने का फैसला किया है। निधि ने को बताया कि हम एक जगह पर खड़े हैं क्योंकि हम एक साथ संसद चुनाव में गए थे।

समझौते से पहले नेपाली कांग्रेस ने गुरुवार सुबह पार्टी की बैठक बुलाई। सीपीएन एमसी ने पहले ही प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष प्रचंड को यह तय करने की जिम्मेदारी दी है कि राष्ट्रपति के रूप में किसे समर्थन देना है। समझा जाता है कि राष्ट्रपति के साथ सत्ता की साझेदारी को लेकर कांग्रेस और सीपीएन (एमसी) के बीच समझौते की रूपरेखा तय हो गई है। दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने बैठकर इसका खाका तैयार किया। जिसके मुताबिक सीपीएन (एमसी) राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस का समर्थन करेगी और कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचंड को समर्थन देने को तैयार है। कांग्रेस नेता निधि ने कहा कि अब राष्ट्रपति पर सहमति बन गई है और बाकी चीजें बाद में की जाएंगी।

अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष के गठबंधन दल अपनी स्थिति बदलते हैं, तो यह एक दिलचस्प राजनीतिक मोड़ पर पहुंच सकता है। अगर कांग्रेस, सीपीएन (एमसी और सीपीएन (यूएस) एक साथ आते हैं, तो यूएमएल को झटका लग सकता है। यही वजह है कि माधव नेपाल के नेतृत्व वाली यूएस एक निर्णायक ताकत के तौर पर देखी जाने लगी है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पंजीकरण 25 फरवरी को है।