8746. चंगा माढ् घर रह्या

चंगा माढू घर रह्यां, ऐ तिन अवगुण होय।
कपड़ा फाटै रिण बधै, नांख न जाणै कोय।।
निर्धनता में घर रहने से तीन प्रकार के अवगुण पैदा हो जाते हैं- कपड़े फट जाते हैं, कर्ज बढ जाता है और कोई उसका नाम नहीं जानता है। एक गांव में एक सेठ रहता था, लेकिन वह कहने भर को ही सेठ था। दरिद्रता ने उसके घर पर अपना पूरा अधिकार जमा रखा था, दो जून खाने के भी लाले पड़े हुए थे। सेठ की औरत नित्य अपने पति से कहती कि कुछ कमाकर लाओ तो किसी प्रकार काम चले। लेकिन सेठ को कमाने का कोई रास्ता नहीं सूझता था। पत्नी के बहुत आग्रह करने पर एक दिन सेठ ने उससे कहा कि कल कमाने के लिए जाऊंगा, इसलिए थोड़ा चूरमा बना देना। अगले दिन सेठानी ने किसी प्रकार जुगाड़ करके थोड़ा सा चूरमा बना दिया।

 

शकुन स्वरूप थोड़ा सा चूरमा सेठ ने खाया और शेष दो लडडू बना कर सेठानी ने अपने पति के अंगोछे में बांध दिए। सेठ कमाने के लिए घर चल पड़ा। चलते चलते शाम को वह एक तालाब पर पहुंचा। वहां बैठकर उसने लडडू खाये और पानी पीकर सो गया। अगले दिन सेठ प्रात उठकर आगे की ओर बढा। चलते चलते वह एक गांव में पहुंचा। गांव बड़ा, बहुत सी दुकानें थी और ऊंचे ऊंचे मकान भी थे। लेकिन सेठ ने देखा कि गांव में सभी आदमियों के बाल और नाखून बहुत ही बढे हुए हैं, जैसे वर्षों से किसी की हजामत बनी ही न हो। सेठ की सहज बुद्धि में यह बात आ गई कि कोई नाई नहीं है। सेठ ने अपना कार्य निश्चित कर लिया और वह घर को लौट पड़ा।

 

सेठानी ने अपने पति को इस प्रकार लौट आया देखकर पूछा कि इतनी जल्दी वापस कैसे आ गए? सेठ ने उत्तर दिया कि एक अच्छा रोजगार देखकर आया हूं। यदि तुम मुझे किसी प्रकार दस रूपये कहीं से लाकर दे सको तो अच्छी कमाई हो सकती है। सेठ के विश्वास दिलाने पर सेठानी पास पड़ोस से किसी प्रकार दस रूपये लाकर अपने पति को दे दिए। सेठ रूपये लेकर चल पड़ा। उसने राछों से युक्त एक रछैनी खरीदी और उसे अपनी बगल में दबा कर उसी गांव में जा पहुंचा।

 

उसने वहां पहुंचकर अपना काम शुरू किया तो बाल बनवाने वालों का जमघट लग गया। गांव वालों ने इसे ईश्वर प्रदत्त एक संयोग ही समझा और बाल बनवाई के मुंह मांगे दाम खुशी खुशी उसको दिए। थोड़े ही दिनों में सेठ के पास अच्छी रकम जुड़ गई और वह अपने घर को लौटा। रूपयों की थैली को देखकर सेठानी बहुत खुशी हुई। उसने सेठ से पूछा कि इतनी जल्दी इतने रूपये कहां से लाए? सेठ ने कहा कि यह सब फिर बताऊंगा, आज तो हलवा बनाओ।