8754. ज्यां घट बहुळी बुध बसै

दसवां वेद, daswa ved
दसवां वेद, daswa ved

ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत नीत परिणाम।
घड़ भांजै, भांजै घडै़,सकल सुधारै काम।।
जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती हो, वे किसी न किसी तरह अपने सभी काम सुधार ही लेते हैं। एक सुलतान ने अपने गांव का हिसाब-किताब लिखने के लिए एक सूबेदार को नौकरी पर रखा। एक बार सूबेदार ने हिसाब में गोलमाल कर दिया। सुलतान ने उसे दरबार में बुलाया और हिसाब के कागज पत्र पेश करने का आदेश दिया। सूबेदार ने हिसाब के कागज पत्र पेश किए। हिसाब में बहुत सारी गलतियां देखकर सुलतान को सूबेदार पर बहुत गुस्सा आया। उसने सूबेदार से कहा कि नमकहराम, तुम जैसे लोगों को तो शूली पर चढा देना चाहिए।

लेकिन तुम्हारा यह पहला अपराध है, इसलिए तुम्हारी मिल्कियत जब्त की जाती है। इसके अलावा दरबार में सबके सामने तुम्हें हिसाब के सारे कागज खाने होंगे। सूबेदार गिड़गिड़ाया कि सुलतान मुझे माफ कर दीजिए। कागज के टुकड़े में कैसे खाऊंगा? सुलतान गुस्से में चिल्लाया कि अभी, इसी वक्त तू मेरी नजरों के सामने सभी कागज नहीं खाएगा, तो तुझे सौ कोड़े मारने की सजा दी जाएगी। आखिरकार सूबेदार को हिसाब के सभी कागज खाने पड़े। मगर अब गांव का हिसाब-किताब कौन लिखे? एक दरबारी ने मुल्ला नसरूदीन का नाम सुझाया। वे गांव में सबसे ज्यादा पढे लिखे थे। सुलतान ने मुल्ला को बुलाया। उसने मुल्ला को गांव का हिसाब लिखने का काम सौंपा और चेतावनी दी कि यदि हिसाब ठीक से नहीं लिखा गया, तो जो सजा सूबेदार को दी गई थी, वही सजा आपको भी दी जाएगी। सुलतान का हुक्म था। इसलिए मुल्ला नसरूदीन इच्छा न होने पर भी ब्यौरेवार हिसाब लिखना और उसे प्रतिमाह उसे लेकर दरबार में हाजिर होना कबूल कर लिया।

महीना पूरा होते ही मुल्ला दरबार में हाजिर हुए। सुलतान ने उनसे हिसाब के कागज मांगे। मुल्ला ने सुलतान के हाथ में एक बडी सी रोटी रख दी। सुलतान ने पूछा कि यह क्या है? मुल्ला ने फौरन जवाब दिया कि गांव का हिसाब है, हुजूर। सुलतान बोला कि लेकिन यह तो रोटी है। नसरूदीन ने कहा कि हां जहांपनाह, मैंने इस रोटी पर ही हिसाब लिखा है। सुलतान ने कहा कि अरे, रोटी पर कहीं हिसाब लिख जाता है? नसरूदीन बोला कि जहांपनाह मुझसे पहले वाले सूबेदार ने कागज पर हिसाब लिखा था औउ उसे कागज के टुकड़े लाने पड़े थे। यदि मेरे हिसाब में गलती निकली तो मुझे भी यही सजा मिलेगी।

मैं ठहरा बूढा आदमी, अत: मुझसे कागज के टुकड़े खाये नहीं जा सकेंगे। इसलिए मैंने हिसाब इस रोटी पर लिखा है। हिसाब में गलती निकली और रोटी खानी पड़ी ता कोई हर्ज नहीं। मुझसे अपराध हुआ तो कोई हर्ज नहीं। मुझसे अपराध हुआ तो क्षमा करें। मुल्ला का जवाब सुनकर सुलतान हंस पड़ा। मुल्ला के सिर से हमेशा के लिए गांव का हिसाब लिखने का बोझ उतर गया।