8936. ज्यां घट बहुळी बुध बसै

  • ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत-नीत परिणाम।
  • घड़ भांजै, भांजै घडै़, सकल सुधारै काम।।


जिनके अंदर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती हो वे किसी न किसी तरह अपने बिगड़े हुए सारे काम सुधार ही लेते हैं। अपना काम बना ही लेते हैं।
एक सुनार के पास काफी दिनों से कोई गहना बनवाने नहीं आया। खाली बैठे बैठे उसे एक चिंता खाये जा रही थी कि इस तरह घर कैसे चलेगा? एक दिन वह अपनी दुकान पर इसी चिंता में बैठा था कि सेठ उधर से निकलने लगा। सेठ की नजर सुनार पड़ी तो वह उदास दिखा। तब सेठ ने रूककर सुनार से पूछा कि क्या बात है? आजकल तो बहुत फीके दिखलाई देते हो। सुनार ने कहा कि सेठजी, सोना तो आंखों से दिखलाई पड़ता नहीं, फिर फीके नहीं तो नीके कहां से रहेंगे। सेठ ने कहा कि सोना नहीं दिखलाई पड़ता? सुनार बोला कि काफी दिनों से कोई गहने घड़वाने आया ही नहीं फिर भला सोना कहो सं दिखता। सेठ ने कहा कि जहां तक सोना देखने की बात है, तो सोना तो मैं आख्ंासे दिखला देता हूं। इसमें कौन सी बड़ी बात है। मैं तो रोज ही सोने के थाल में भोजन करता हूं। यों कहकर सेठ ने अपना सोने का थाल मंगलवा कर सुनार को दिखला दिया। बोला कि यह थाल सौ तो ले वजन का सुनार हर्ष के साथ बोली कि बस अब मेरा काम बन जाएगा। आपने बडी कृपा की सेठजी। सेठ के जाने के बाद सुनार ने दिमाग लड़ाया और सेठ युक्ति सोची। सेठ नित्य उसी सोने के थाल में भोजन किया करता था, अत उसने उस स्त्री को पटाया, जो सेठ के यहां बर्तन धोने के लिए जाती थी। उसने बर्तन धोने वाली से कहा कि तुम कुछ छर्रे वाली बालू रेल से थाल को मांजा करो और खूब रगड़कर मला करो। फिर वह रेत एक नियत स्थान पर डाल दिया करो। कुछ लालच देने पर वह स्त्री वैसा ही करने लगी। सुनार उस रेत को घर ले जाकर इकटठी करने लगा। महिने भर से ही कोई दस तोला सोना उस बालू रोत में मिलकर सुनार के घर पहुंच गया, जिसे सुनार ने बालू रेत से अलग निकाल लिया। सुनार को तो मजा आ गया। महीने भर बाद जब सेठ और सुनार मिले तो सेठ ने सुनार से कहा कि आपकी कृपा है जो सोने का थाल आपने मुझे दिखलाया। उसी से मेरा काम चल जाता है। सेठ ने कहा कि थाल तो मेरे घर में मौजूद है और मैं नित्य उसमें खाना खाता हूं। फिर तुम्हारा उससे काम कैसे चल जाता है? तब सुनार ने कहा कि थाल मांगवाकर तोला लीजिए। थाल तोला गया तो नब्बे तोले का हुआ। यह देखकर सेठ को बड़ा आश्चर्य हुआ। सुनार ने तब अपनी युक्ति बतलाई तो सेठ मान गया कि वास्तव में ही सुनार बड़े चतुर होते हैं और सोना आंख से देख लेने मात्र से ही उनकी भूख चली जाती है।