8947. अकल बिना रा आदमी

नहिं समझै मानैं नहीं, जिणरो कोइ न जोर।
अकल बिना रा आदमी, ढबै किसी विध ढोर।।


जो नहीं समझते हैं और नहीं मानते हैं तो उन पर किसी का जोर नहीं चल सकता। अब किसी तरह पशु रूकें तो बिना अक्ल ले मूर्ख लोग रूकें। तात्पर्य यह कि मूर्खों का कोई भरोसा नहीं।
चार भाई कमाने के लिए साथ साथ चले। चारों ही अव्वल दर्जे के मूर्ख थे। वे चारों एक ठाकुर के नौकर रहे। ठाकुर ने एक भाई को खेत भेज दिया कि जाकर खेत का निनाण सफाई करे। दूसरे को गाड़ा देकर लकडियां लाने के लिए भेज दिया। तीसरे से ठाकुर ने कहा कि जंगल में अपनी बकरियां चरा लो और आते वक्त बकरियों को पानी पिला लाना, उन्हें प्यासी मत रखना। चौथे को उसने अपनी बूढी मां की सेवा पर नियुक्त कर दिया और कहा कि तुम इनकी मक्खियां उड़ाया करो। चारों को काम देकर ठाकुर बाहर चला गया।

खेत की सफाई वाले ने खेत में जितने भी अनाज के बूटे थे, सब उखाड़ डाले और वह घर आ गया। लकडी लाने वाले ने दिन भर लकडियां बटोरी, फिर लकडियों को गाडें में भरने लगा। गाडा दिन भर धूप में पड़ा रहा, अत गर्म हो गया। मूर्ख ने सोचा कि गाढे को बहुत तेज बुखार हो गया है। अधिक भार होने के कारण बैल नहीं चला तो उसने सोचा कि गाडा मर गया है। अत उसने तय किया कि इसे यहीं जला देना चाहिए। यों सोचकर उसने गाडे को वहीं जला दिया और आप घर आ गया। तीसरे के रास्ते में कुआं आया तो उसने देखा बकरियोंं को यहां पानी पिला लूं। उसने बकरियों के कान पकड पकड़ कर कुंए में ढकेल दिया और उनसे बोला कि पेट भरकर पानी पी लेना फिर ठाकुर से यह न कहना कि हम प्यासी रह गई है। बहुत देर बाद भी जब बकरियां वापस नहीं आई तो वह घर आ गया। अब बचा चौथा, वह घर पर बुढिया की सेवा कर रहा था।

जब भी कोई मक्खी बुढिया के शरीर पर बैठती तो मक्खी को उड़ाने के लिए एक झापड़ बुढिया के जमा देता। दिन भर झापड खा खा कर बुढिया अधमरी हो गई। बाकी तीनों भी लौटकर आ गए थे और वे ठाकुर को खुश करने के लिए अब उसी प्रकार बुढिया की सेवा करने में लग गए। बुढिया मार खाते खाते संज्ञा शून्य हो गई। अब उन्होंने सोचा कि बुढिया मर गई है। अत इसे जला देना चाहिए। चारों ने मिलकर बुढिया को अर्थी में बांधा और वे नाचते कूदते उसे श्मशान ले जाने लगे। नाचने कूदने के कारण बुढिया मार्ग में अर्थी से गिर गई, क्योंकि उन्होंने अर्थी ढीली बांधी थी। श्मशान पहुंचकर जब उन्होंने देखा कि बुढिया नहीं है तो वे उसे ढूंढने को चले। रास्ते में कोई दूसरी बूढी औरत जा रही थी, उन चारों ने उसे पकड लिया और उसे जबरन श्मशान ले गए। वहां उन्होंने उसका अंतिम संस्कार कर दिया। जब ठाकुर घर आया और उसने चारों के कारनामें सुने तो उसने अपना सिर पीट लिया और उन चारों को उसी वक्त घर से निकाल दिया।