8954. कामण आगै के लिया

  • पिरथी रा पैमाल, पल मांही कर दै परी।
  • सिंघ हुया है स्याळ, कामण आगै केलिया।।

जो पलभर में पृथ्वी को पदाक्रांत कर सकते हैं वे सिंह रूपी वीर पुरूष भी स्त्री के आगे सियार बन जाते हैं।
(गतांक से आगे) गोदू ने टोपी बेचकर उसके रूपये लाकर अपनी बहन को दे दिए। दूसरे दिन उसने गोदू को फिर एक रूपया दिया और वही सामान फिर मंगया लिया। उसने फिर टोपी बनाकर गोदू को दी ओर वह उस बनजरे को पच्चीस रूपये में बेच आया। यों उसने सात टोपियां बेच दी। आठवें दिन जब वह टोपी लेकर पहुंचा तो बनजारे ने उससे पूछा कि तुझे ये टोपियां बनाकर कौन देता है? गोदू ने कहा कि मेरी बहन मुझे टोपी बनाकर देती है। बनजारे ने कहा कि मैं उससे मिलना चाहता हूं।

गोदू ने कहा कि मैं अपनी बहन से पूछकर कल इसका उतर दूंगा। गोदू ने अपनी बहन को बनजारे की बात बताई तो उसने कहा कि बनजारे को ले आना। दूसरे दिन बनजारा आया तो मंत्री की लड़की को देख कर मोहित हो गया। बनजारे ने उससे विवाह का प्रस्ताव किया तो मंत्री की लड़की ने कहा कि पहले मुझे एक लाख रूपये दो, ताकि मैं अपनी स्थिति सुधार लूं। फिर मैं तुमसे विवाह कर लूंगी। बनजारे ने उसे एक लाख रूपये ला दिए। मंत्री की लड़की ने अब एक अच्छा सा मकान ले लिया खूब ठाठ-बाट से रहने लगी। बनजारा उसके पास गया तो उसने उत्तर दिया कि वे रूपये तो मकान आदि में खर्च हो गए, अब तुम मुझे विवाह की तैयारी करने के लिए एक लाख रूपये और दो।

अब बनजारे ने सोचा कि यह लड़की मुझे ठग रही है। इसलिए वह कोतवाल के पास गया। कोतवाल आया और मंत्री की लड़की को देखकर वह खुद आसक्त हो गया। उसने स्वयं मंत्री की लडकी से विवाह का प्रस्ताव किया। लडकी ने कहा कि आप रात को दस बजे आइए, तब मैं आपसे बात करूंगी। कोतवाल ने बनजारे को घुड़क कर निकाल दिया। तब बनजारा उससे ऊंचे अधिकारी के पास गया। वह भी मंत्री की लड़की के पास आया तो उसकी भी वही गति हुई। मंत्री की लडकी ने उसे रात को ग्यारह बजे आने के लिए कह दिया। अब बनजारा दीवान के पास गया। दीवानगी को रात के बारह बजे आने को कहा गया। और बनजारा तब थक हार कर राजा के पास पहुंचा। राजा भी मंत्री की लडकी के यहां पहुंचा तो राजा भी उस पर मोहित हो गए। तब मंत्री की लडकी ने उन्हें आधी रात के बाद आने को कह दिया। इस तरह मंत्री की लडकी ने एक के बाद एक सबको रात को घर आने के लिए कह दिया। अब वह रात होने का इंतजार करने लगी। ताकि उन सबकी खातिदारी की जा सके। (क्रमश:)