नई दिल्ली। घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का विनिवेश चालू वित्त वर्ष में पूरा नहीं हो सकेगा। निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के अधिकारी ने कहा कि एयर इंडिया, बीपीसीएल और कॉनकॉर जैसी कंपनियों का रणनीतिक विनिवेश मार्च 2020 तक पूरा होने की संभावना नहीं है।
अधिकारी के अनुसार, सभी कंपनियों पर काम चल रहा है लेकिन प्रक्रिया शुुरू होने के बाद कुछ आश्चर्यजनक बातें सामने आने से देरी हो रही है। लिहाजा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) का रणनीतिक विनिवेश इस वित्त वर्ष में पूरा होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा भारतीय कंटेनर निगम (कॉनकॉर) और एयर इंडिया की बिक्री भी मार्च तक पूरा होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार बिक्री के लिए आंकड़े और वित्तीय विवरण जुटा रही है और इन प्रक्रियाओं में समय लगता है। भारतीय शिपिंग कॉरपोरेशन (एससीआई) की बिक्री प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
अभी तक सिर्फ 15 लक्ष्य पूरे
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जबकि सितंबर में समाप्त पहली छमाही तक उसे महज 12,359 करोड़ रुपये ही मिल सके। यह लक्ष्य का करीब 15 फीसदी है। हालांकि, अकेले बीपीसीएल से सरकार को 60 हजार करोड़ मिलने का अनुमान है। इसी तरह, एससीआई से 2,000 करोड़ और कॉनकॉर से 13 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
एमटीएनएल ने शुरू की 23,000 करोड़ की विनिवेश प्रक्रिया
महानगरों में दूरसंचार सेवा उपलब्ध कराने वाली सरकारी कंपनी एमटीएनएल ने दीपम के जरिये 23 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति बिक्री प्रक्रिया शुरू कर दी है। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि अगले वित्त वित्त वर्ष तक इसे लाभ में लाने की पूरी कोशिश रहेगी। कंपनी ने मुंबई, दिल्ली और नोएडा स्थित करीब 6,200 करोड़ की जमीन और कार्यालयों की सूची पहले ही दीपम को सौंप चुका है। कंपनी के चेयरमैन और एमडी सुनील कुमार ने कहा कि ये हमारी सबसे कीमती संपत्तियां हैं। वीआरएस और विनिवेश पूरा होने के बाद हमारे मुनाफे में आने की पूरी उम्मीद है। एमटीएनएल पिछले 10 में से 9 साल घाटे में रही है।
निजीकरण के लिए एयर इंडिया कर्मचारियों का सहयोग जरूरी :पुरी
एयर इंडिया के 13 कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि निजीकरण के बाद भी कंपनी के कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित रखने के मुद्दे पर सरकार गंभीर है। बैठक में शामिल एक कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि ने कहा कि सरकार ने सभी संगठनों से विनिवेश प्रक्रिया को पूरा करने में सहयोग मांगा है। उसका कहना है कि मौजूदा हालात में निजीकरण के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पिछले दिनों एयर इंडिया के एक अधिकारी ने कहा था कि अगर जून तक कंपनी को निवेशक नहीं मिला तो इसका हाल भी जेट एयरवेज की तरह होगा।