एयर इंडिया को उसी के कर्मचारी खरीद सकते हैं, 200 कर्मचारी हुए एकजुट

नई दिल्ली। 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में फंसी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। दिलचस्प तरीके से वरिष्ठ कर्मचारियों का एक समूह अपनी ही कंपनी को खरीदने के लिए आगे आया है।

ये कर्मचारी प्राइवेट इक्विटी फर्म के साथ सरकारी बोली में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। अगर बात बनती है तो देश के कॉरपोरेट इतिहास का यह पहला मामला होगा, जब किसी सरकारी कंपनी को उसके ही कर्मचारी खरीदेंगे।

कंपनी के तारणहार बनने जा रहे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक के मुताबिक, दीवाली के बाद एयर इंडिया मुख्यालय में चार-पांच साथी बैठे थे। सभी यहां 30-32 साल से नौकरी कर रहे हैं। चर्चा होने लगी कि इस बार तो दिवाली मना रहे हैं। अगली दीपावली पर एयर इंडिया में क्या स्थितियां होंगी, कर्मचारियों का क्या होगा, कुछ पता नहीं।

ज्वॉइनिंग के पहले दिन के अनुभव बताते-बताते सभी भावुक होने लगे। तभी एक अधिकारी ने कहा, जिस एयरलाइंस में पूरा जीवन गुजर गया, काश इसे हम खरीद सकते! इस पर एक अधिकारी ने कहा, इतनी भारी-भरकम रकम कहां से लाएंगे। तभी आइडिया आया कि क्यों न कोई फाइनेंसर खोजकर कर्मचारी ही हिस्सेदारी खरीद लें। इस सुझाव पर सभी गंभीर हो गए।

यह अधिकारी बताते हैं, हमारी सोच को जैसे पंख लग गए। हमने फाइनेंसर की तलाश शुरू कर दी। एक नाम पर सहमति बनी। प्राइवेट इक्विटी फर्म हमारे प्रस्ताव पर तैयार भी हो गई। इसके बाद एयर इंडिया के उन अधिकारी और कर्मचारी को चुना गया, जिनकी नौकरी 30 से 32 साल की हो चुकी है। इसके पीछे तर्क यह था कि पुराने कर्मचारियों का कंपनी से भावनात्मक जुड़ाव रहेगा।