एयरलाइन गो फस्र्ट दिवालिया होने की कगार पर

एयरलाइन गो फस्र्ट
एयरलाइन गो फस्र्ट

पहले भी कई इंडियन कंपनियां हो चुकी हैं बंद

नई दिल्ली। एयरलाइन सेक्टर के लिए यह समय काफी खराब साबित हो रहा है। किंगफिशर एयरलाइंस और जेट एयरवेज बंद होने के बाद अब एयनलाइन गो फस्र्ट भी बुरे दौर से गुजर रही है। बताया जा रहा है कि कंपनी कभी बंद हो सकती है। इधर, कंपनी के दिवालिया होने की खबर ने कंपनी के कर्मचारियों को भारी चिंता में डाल दिया है। गो फस्र्ट ने खुद ही हृष्टरुञ्ज में वॉलंटरी इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के लिए आवेदन दिया है।

अगर टाटा ग्रुप ने वापस एयर इंडिया को नहीं खरीदा होता तो बहुत मुमकिन है कि एयर इंडिया भी डूब चुकी होती। 69 साल के बाद टाटा ग्रुप के पास वापस आने के बाद से एयर इंडिया दिन-प्रतिदिन उंची उड़ान भर रही है। देश में बजट और घरेलू उड़ानों के लिए माहिर इंडिगो एयरलाइन, लगातार एक के बाद मुकाम हासिल कर रहा है। अगर गो फस्र्ट को मिला लें तो अभी तक देश में तीन एयरलाइन दिवालिया हो चुकी है।

किंगफिशर एयरलाइंस

एयरलाइन गो फस्र्ट
एयरलाइन गो फस्र्ट

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने साल 2003 में किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना की थी और साल 2005 में सिंगल क्लास इकोनॉमी के रूप में इस एयरलाइन ने अपना परिचालन शुरू किया था। शुरुआती कुछ सालों में किंगफिशर एयरलाइंस ने मोटा मुनाफा कमाया और कर्ज में डूबी एयर डेक्कन को साल 2008 में खरीद लिया। आकंड़ों की मानें तो साल 2011 में घरेलू उड़ानों के मामलों में किंगफिशर की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी। जहां एक तरफ किंगफिशर एयरलाइन नई बुलंदियों को छू रहा था, वहीं उसके विनाश की शुरुआत भी एयर डेक्कन की खरीद से ही हो चुकी थी।

किंगफिशर ने 2008 में एयर डेक्कन एयरलाइन को तो खरीद लिया, लेकिन उसके बाद किंगफिशर पर कर्ज का बोझ साल दर साल बढ़ता गया और एक ऐसा समय आया, जब कंपनी ने अपने संपत्ति का आधा तो कर्ज ले लिया। दूसरी ओर, उस वक्त कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी ने एयरलाइन को घुटने के बल गिरा दिया। किंगफिशर का कर्ज इतना बढ़ गया कि साल 2012 में एयरलाइन का लाइसेंस रद्द हो गया और सभी परिचालन बंद कर दिए गए। इसके बाद साल 2014 के अंत में ठ्ठद्बह्लद्गस्र क्चह्म्द्ग2द्गह्म्द्बद्गह्य ॥शद्यस्रद्बठ्ठद्दह्य रुद्बद्वद्बह्लद्गस्र ,जो एयरलाइंस की गारंटर थी, उसने एयरलाइन को डिफॉल्टर घोषित कर दिया था।

जेट एयरवेज

1992 में जेट एयरवेज की शुरुआत हुई थी। एक साल के बाद, यानी 1993 तक एयरलाइन ने दो विमान, बोइंग 737 और बोइंग 300 के साथ परिचालन शुरू किया और कंपनी ने तगड़ा मुनाफा कमाते हुए भारतीय एयरलाइन में सबसे उंची उड़ान भरी।

साल 2006 में जेट एयरवेज ने एयर सहारा को करीब 2000 करोड़ रुपये में खरीद कर अपने बेड़े में 27 नए विमान शामिल कर लिए। इसके बाद जेट एयरवेज ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और घरेलू उड़ानों के साथ-साथ कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू कर दीं। अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू करने का फैसला गलत साबित हुआ और कंपनी की वित्तीय परेशानियां शुरू हो गईं। साथ ही साथ घरेलू उड़ानों के लिए मार्केट में इंडिगो एयरलाइन ने अपनी पकड़ मजबूत करने लगी और नतीजतन 2012 के मध्य तक इंडिगो ने घरेलू बाजार में जेट का मार्केट शेयर तोड़ दिया।

धीरे-धीरे और साल दर साल जेट एयरवेज का घाटा बढ़ता चला गया और वित्तीय परेशानियां और बढ़ती चली गईं।दिसंबर 2018 तक कंपनी के पास 124 विमान थे, जिसमें से सिर्फ 4 से 5 विमान ही उड़ रहे थे और बाकी जमीन पर नजर आ रहे थे। भारी घाटे और कर्ज के कारण जेट एयरवेज ने अप्रैल 2019 में अपना सारा परिचालन बंद कर खुद को दिवालिया घोषित कर दिया। इसके बंद होते ही करीब 17 हजार कर्मचारियों की नौकरियां चली गईं।

यह भी पढ़ें : अचानक बाजार मेें गुम हो गईं थीं नरगिस, भीड़ से बामुश्किल बचकर निकले बच्चे