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मछलियां कर सकती हैं गिनती

मछलियां किसी चीज की मात्रा को बेहतर तरीके समझती और आसानी से उनकी गिनती कर सकती हैं। वहीं, मधुमक्खियां बड़ी ही कुशलता के साथ एक ही रंग के किसी भी चित्र को देखकर उसकी पहचान कर सकती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, उनकी ये समझ इंसानों के भी काम आ सकती है। वहीं, मछलियां गणित को समझती हैं। वो यह समझ सकती हैं कौन सी चीज बड़ी और कौन सी छोटी। कौन सी चीज संख्या में ज्यादा कौन सी कम। ‘फ्रंटियर न्यूरोएनाटॉमीÓ जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, भले ही इनके हिसाब-किताब का तरीका मनुष्यों की तरह नहीं है, लेकिन रिसर्च में यह जरूर साबित हुआ है कि इन्हें भी गणित की बेसिक समझ है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सिर्फ मछली और मधुमक्खी ही नहीं, कई ऐसे जानवर ऐसे हैं जो अपने हिसाब से गिनती समझते हैं। इनमें भालू, मुर्गियां और चिंपांजी जैसे जानवर शामिल हैं। ये गणित को अपनी-अपनी तरह समझते हैं। इनमें गणित की समझ के पीछे इनके पूर्वज और इनके क्रमिक विकास का अहम रोल हो सकता है। ये जो भी सीखते गए वह इंसानों की तरह अगली पीढ़ी में पहुंचता गया।

30 वर्षों से मधुमक्खियों पर शोध

शोध में शामिल लंदन के क्वीन मैरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लार्स चिटट्का 30 वर्षों से मधुमक्खियों पर अध्ययन कर रहे हैं। चिटट्का के मुताबिक, मधुमक्खियों में भावनाएं होती हैं, वे चीजों की योजना बना सकती हैं और कल्पना कर सकती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान हमने मधुमक्खियों को प्रशिक्षित किया।
प्रशिक्षण के दौरान उन्हें एक साथ मनुष्यों की कई मोनोक्रोम छवियां दिखाई गईं। इसके बार उन्होंने बड़ी ही चतुराई के साथ दिखाए गए क्रम की पहचान की। शोधकर्ताओं ने बताया कि इसके लिए उन्हें इनाम के बाद चीनी दी गई। एक अन्य अध्ययन के दौरान मधुमक्खी बार-बार उस जगह पर ज्यादा जाती थी जहां मीठी चीजें मिलती थीं। जब मधुमक्खी पहेली के पास जाती थी तो वहां पर 1 से लेकर 5 तक के नंबर के आकार दिखाई देते थे। नीले रंग की आकृति का मतलब जोड़ और पीले रंग की आकृति का मतलब घटाना था। शुरुआती नंबर देखने के बाद वह पहेली के दोनों तरफ जाती थी। जिसमें एक तरफ सही और दूसरी तरफ गलत जवाब था। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में किए एक अन्य अध्ययन में पता चला कि मधुमक्खी जीरो को पहचान सकती है। इसे जोडऩा-घटाना और गिनती करना भी सिखाया जा सकता है।

200 अध्ययनों के बाद निकला नतीजा

शोधकर्ताओं में मछलियों के बारे में नई जानकारी हासिल करने के लिए इन पर हुए 200 अलग-अलग अध्ययनों को पढ़ा और समझा। इनकी समीक्षा में सामने आया कि मछलियां इंसानों की तरह भारी-भरकम सवाल तो नहीं कर सकती हैं, लेकिन यह जरूर पता लगा सकती हैं कि उनके सामने समुद्र में मौजूद कई कोरल रीफ में से कौन सी जगह छिपने के लिए पर्याप्त है। शोध के लेखक प्रोफेसर जियॉर्जियो वेलोर्टिगारा का कहना है कि इस मामले में जेब्राफिश की कई प्रजातियां काफी बेहतर होती हैं।

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