प्रशांत किशोर का दावा-पश्चिम बंगाल में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी भाजपा

पश्चिम बंगाल में बेशक अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन राजनीतिक बिसात अभी से बिछ चुकी है। भाजपा जहां राज्य में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है वहीं सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पास अपनी सत्ता को बचाने की चुनौती है। वहीं बागियों ने पार्टी की टेंशन को बढ़ा दिया है। इसी बीच पार्टी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भाजपा को लेकर दावा किया है। उनका कहना है कि पार्टी राज्य में दहाई के आंकड़े पर भी नहीं पहुंच पाएगी। इसपर भाजपा नेता और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने किशोर पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद देश को अपना एक चुनावी रणनीतिकार खोना पड़ेगा। 

भाजपा बंगाल में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी

प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, मीडिया का एक वर्ग भाजपा के समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है, वास्तव में भाजपा पश्चिम बंगाल में डबल डिजिट (दहाई आंकड़ा) के लिए भी संघर्ष करेगी। कृपया इस ट्वीट को सेव करके रखें और यदि भाजपा इससे बेहतर प्रदर्शन करती है तो मैं ये काम करना छोड़ दूंगा।

देश को खोना पड़ेगा चुनावी रणनीतिकार – विजयवर्गीय 

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए कहा, भाजपा की बंगाल में जो सुनामी चल रही है, सरकार बनने के बाद इस देश को एक चुनाव रणनीतिकार खोना पड़ेगा।

राजनीतिक हितों के लिए जनसांख्यिकी परिवर्तन की हो रही अनदेखी

भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने टीएमसी पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, टीएमसी के मंत्री फिरहाद हाकीम ने मटियाब्रुज निर्वाचन क्षेत्र का उल्लेख मिनी पाकिस्तान के तौर पर किया। यहां अकेले पिछले साल मतदाताओं की संख्या में नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। दीदी अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए चुपचाप पश्चिम बंगाल के जनसांख्यिकी परिवर्तन की अनदेखी कर रही हैं। क्या चुनाव आयोग ये देख रहा है?

ममता ने किशोर को दिया अल्टीमेटम

पार्टी नेताओं के बगावती सुर अपनाने के मद्देनजर ममता ने पीके को अल्टीमेटम दे दिया है। यदि वह स्थिति को नियंत्रित करने में असफल होते हैं तो खुद ममता आखिरी फैसला लेंगी। टीएमसी के कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी सहित कई नेताओं के पार्टी छोडऩे के बाद पार्टी अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। पार्टी में आई दरार को पाटने के लिए अब खुद ममता बनर्जी को मैदान में उतरना पड़ रहा है।