
वित्त मंत्री ने पेश किया आम बजट
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नई दिल्ली। केंद्रीय बजट में राजस्थान को इस बार केंद्रीय करों में हिस्से से पिछले बजट की तुलना में 9 हजार करोड़ रुपए ज्यादा का प्रावधान रखा गया है। इस बार केंद्रीय योजनाओं और केंद्रीय करों में हिस्सा बढऩा तय माना जा रहा है। राजस्थान को केंद्रीय करों से हिस्से के रूप में इस बार 49,211 करोड़ मिलेंगे जबकि पिछले बजट में 40106 करोड़ का प्रावधान किया था। पिछले बजट से इस बार 9 हजार करोड़ ज्यादा का प्रावधान रखा है। हांलाकि राजस्थान को को पिछले बजट प्रावधान के 40 हजार करोड़ के प्रावधान की जगह 43 हजार 581 करोड़ रुपए केंद्रीय करों का हिस्सा मिला था।
राजस्थान को केंद्रीय करों में कॉपोर्रेट टैक्स के तौर पर 15365 करोड़, इनकम टैक्स के 14896 करोड़, सेंट्रल जीएसटी के 16158 करोड़, कस्टम्स के 2133 करोड़, यूनियन एक्साइज ड्यूटी के 664 करोड़ और सर्विस टैकस की हिस्सा राशि के 49 करोड़ रुपए मिलेंगे।
केंद्रीय करों में हिस्सा राशि के हिसाब से राजस्थान 28 राज्यों में छठे नंबर पर
केंद्रीय करों में हिस्सा राशि के प्रावधान के हिसाब से 28 राज्यों में राजस्थान छठे नंबर पर है। पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश को केंद्रीय करों में राजस्थान से ज्यादा हिस्सा राशि मिलेगी। राजस्थान को जहां इस साल 49211 करोड़ मिलेंगे, जबकि मध्यप्रदेश को 64,106 करोड़ मिलेंगे। केंद्रीय करों में सबसे ज्यादा हिस्सा यूपी को 1 लाख 46 हजार 498 करोड़ मिलेगा जो कुल हिस्सा राशि का 17 फीसदी है। राजस्थान से ज्यादा पांच राज्यों को केंद्रीय करों की हिस राशि मिलेगी जिनमें यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिमी बंगाल शामिल हैं। महाराष्ट्र को 51587 करोड़, बिहार को 82,138 करोड़ और पश्चिमी बंगाल को 61,436 करोड़ मिलेंगे।
केंद्रीय योजनाओं में भी बढ़ेगा राजस्थान का हिस्सा
केंद्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं (सीएसएस) में भी केंद्रीय बजट में राजस्थान का हिस्सा बढ़ाया है। केंद्रीय सहायता वाली योजनाओं में राजस्थान को 25 हजार करोड़ रुपए के आसपास फंड मिलता है। इस बजट में यह बढक़र 27 हजार करोड़ के आसपास होगा।
आयकर स्लेब में बदलाव नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को देश का आम बजट पेश किया, लेकिन आम आदमी को कोई राहत नहीं मिली। वित्त मंत्री ने टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। आम लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना महामारी और महंगाई के बीच कम से कम उन्हें टैक्स में कोई छूट जरूर मिलेगी। लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने कोई छूट नहीं दी है। टैक्स स्लैब में जिस दर से पहले टैक्स लगता था, उसी तरह लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का 10वां बजट पेश किया। इस बजट से मिडिल क्लास को काफी उम्मीदें थीं। खास तौर पर टैक्स स्लैब में बदलाव या फिर छूट को लेकर करदाताओं ने काफी उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन पिछले 8 साल के इंतजार के बाद भी वित्त मंत्री ने बजट में टैक्स को लेकर कोई बदलाव नहीं किया। इस बार भी मध्य वर्ग को टैक्स में कोई राहत नहीं मिली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान बताया कि आखिर मध्य वर्ग को टैक्स में राहत क्यों नहीं दी गई है। दरअसल वित्त मंत्री ने महाभारत के एक श्लोक का उदारहण देते हुए टैक्स को लेकर अपना बजट भाषण पढ़ा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राजा को किसी भी प्रकार की ढिलाई न करते हुए और धर्म के अनुरूप करों का संग्रहण करना चाहिए। इससे पहले वित्त मंत्री ने देश के करदाताओं का आभार किया और कहा कि उन्होंने जरूरत की इस घड़ी में सरकार के हाथों को मजबूत किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महाभारत के जिस श्लोक के जरिए जवाब दिया, वो शांति पर्व के अध्याय 72 का 11वां श्लोक था।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कहा कि जनवरी में जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड स्तर पर आया है। आर्थिक गतिविधियों में तेजी से जीएसटी कलेक्शन में महामारी के बावजूद अच्छा उछाल देखा गया है। राज्य सरकार के कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा लाभों में मदद करने और उन्हें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों की कर कटौती की सीमा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत की जाएगी। इसके अलावा हीरों के जेवरात पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई और छातों पर इंपोर्ट ड्यूटी 20 फीसदी बढ़ाई गई है। इस तरह हीरे के जेवर सस्ते होंगे और विदेश से आने वाले छातों पर भी ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। अगर बात बजट में सस्ते और महंगे सामान की करें तो विदेश से आने वाली मशीनरी सस्ती होगी और खेती के उपकरण भी सस्ते होंगे। कपड़े और चमड़े का सामान सस्ता होगा। वहीं वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि आईटीआर में गड़बड़ी को सुधार करने के लिए 2 साल का समय मिलेगा। कॉर्पोरेट टैक्स को 12 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी करने का एलान कर दिया है। वर्चुअल डिजिटल ऐसेट से आमदनी पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा। इसका साफ मतलब है कि क्रिप्टोकरेंसी भी टैक्स के दायरे में आ जाएगी और क्रिप्टोकरेंसी से आय पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा। कटे और पॉलिश हीरे व रत्नों पर कस्टम ड्यूटी को घटाकर 5 प्रतिशत किया जाएगा।