जलतेदीप… जगाए जीवन ज्योति

जलतेदीप... जगाए जीवन ज्योति
जलतेदीप... जगाए जीवन ज्योति

सागर में सीप
सीप में मोती
जलते दीप… जगाए जीवन ज्योति

संसार में
नित नई
घटनाएँ घटती
कुछ कही
कुछ अनकही
व्यथाएँ बहती
सबको मिले सम्मान
सुख-शांति-समाधान
जलते दीप… कोशिश यही रहती

बन लोकतंत्र का
सजग प्रहरी
रख-
दायित्व बोध गहरी
हटाने अज्ञान तम
जलते दीप… जगाए ज्ञान ज्योति

सागर में सीप
सीप में मोती
जलते दीप… जगाए जीवन ज्योति…

लेखक

शिखरचंद छाजेड़, करही
शिखरचंद छाजेड़, करही

– शिखरचंद छाजेड़, करही (म. प्र.)

यह भी पढ़ें : अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा विकास का उजियारा : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा