जल समस्या का कारण- भौतिक जल विज्ञान के अंधविश्वास

श्याम सुन्दर राठी

बुद्धिजीवीओ की यह अवधारणा रही है की विश्व में पानी की कमी है और हमें अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ना पड़ेगा। बुद्धिजीवीओ की यह अवधारणा भयंकर जल संकट के दुष्परिणामो के कारण जन्मी हैं। हमने भयंकर जल संकट की यथा स्थिति को आंखों के सामने रख कर यह अवधारणा बना ली मगर भौतिक जल विज्ञान की वास्तविक स्थितियों को नज़र अंदाज कर रखा है। मानव जाति ने भौतिक जल विज्ञान के वैज्ञानिक पहलुओ का सही आकलन करने का साहस नही दिखाया इस कारण बौद्धिक अंधविश्वास का शिकार हो गई l मैं आपको सिक्के के दूसरे पहलुओ से अवगत करवा रहा हूं जिससे बुद्धिजीवी वर्गभौतिक जल विज्ञान की यथा स्थिति को समझें और उनके आंखे पर बंधी अंधविश्वासों की पट्टी खुले एवं भौतिक जल विज्ञान की यथा स्थिति से वाकिब हो कर विवेक भरा निर्णय लेने में सफ़ल हो सकें। इससे हम पारंपरिक विधि को त्याग कर आधुनिक विज्ञान को अपना कर जल समस्या वह बाढ़ का निदान कर अगला विश्व युद्ध लड़ने की सोच त्याग कर आगे की जिन्दगी सुख शान्ति से जीने की बाते करें। जिससे सभी प्राणियों का जीने का रास्ता सुगम हों जाएगा। *जल की कमी* – हमारी आंखों के समाने वर्षा ऋतु में करोड़ो घर बाढ़ में डूबते हुए हम देखते है। जाहिर सी बात है पानी अत्याधिक होने से ही बाढ़ आति है और एक बाढ़ में हमारी अवश्यकता से हजारों गुणा अधिक पानी होता है। बाढ़ के इस पानी का एक छोटा सा हिस्सा भी हम आगामी दिनों के लिए स्टोर करले तो हमारे लिए पानी की कोई कमी नही रहेगी यह जग जाहिर है।

पानी की कमी का कारण हमारी कमजोर जल भण्डारण व्यवस्था का होना है जो 5000 सालों पुरानी है। हम भौतिक जल विज्ञान के नियमों को मानते हुए जल भण्डारण व्यवस्था को ठीक करके जल समस्या का समाधान करने में सफलता अर्जन कर सकते हैं। *बिना पात्र या बर्तन (Container) के जल भण्डारण* – पानी एक तरल पदार्थ है यह हम सभी जानते हैं और बिना किसी पात्र या बर्तन (Container) के जल नही रखा जा सकता यह एक छोटासा बच्चा भी जानता हैं।  हमारी सार्वजनिक व्यवस्था बिना किसी पात्र या बर्तन (Container) के पानी रखने का मुर्खो वाला प्रयास कर रही है। यही हमारी जल समस्या का मूल कारण है। हमें सार्वजनिक जल भण्डारण व्यवस्था का अधुनिकी करण कर के जल समस्या को खत्म करना होगा। 

स्टोर जल के उपयोग करने की क्षमता – इस वक्त मानव जाति स्टोर पानी का 2% से 10% तक पानी उपयोग कर रही है और बाकी स्टोर पानी को उपयोग में लेने की स्थिति में नही है। हमने पानी स्टोरेज के लिए करोड़ों वर्ग किलोमीटर भूभाग का बलिदान दिया है, अपार धनराशि इस मद में खर्च की है, और बहुमुल्य समय के साथ श्रमदान कर के पानी स्टोर की व्यवस्था बनाई है और हम स्टोर पानी का एक छोटासा हिस्सा उपयोग कर रहें हैं। इससे अधिक दुखद स्थिति हो ही नही सकती और यही हमारी जल समस्या का असली कारण हैं।   *जमीन का पानी/ भूगर्भ जल* – प्रकृति ने पेड़ पौधों को जिन्दा रहने के लिए ज़मीन में पानी रखा हैं। पेड़ पौधे जड़ों से इस पानी को लेकर जिन्दा रहते हैं यह हम सभी जानते है। बागवानी में तो हम स्वयं पेड़ पौधों को पानी मुहैया कराते है। ज़मीन का पानी प्राणियों का नही है पेड़ पौधों के लिए है और हम पंपों से उस पानी को निकाल कर उनका खाना छीन रहे है। भूगर्भ जल का स्तर जितना नीचे जाएगा उसी अनुपात में पेड़ पौधों का खाना मिलना कम होता जाएगा एवं वो भूख से मारे जाएंगे। हमें भूगर्भ जल का उपयोग बन्द करना पड़ेगा नही तो सारे के सारे पेड़ पौधे खाद्य की कमी के कारण मर जाएंगे और हमारे लिए ऑक्सीजन बनने और हवा को शुद्ध करने की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। इस तरह पेड़ पौधों के साथ मानव सभ्यता का अन्त हो जाएगा।    जल ही जीवन है और पुरा का पुरा भौतिक जल विज्ञान अंधविश्वास मे डुबा हुआ हो तो उन परिस्थितियों से मानव जाति को उबरपाना असम्भव है फिर भी मानव जाति अपना अस्तित्व बचा पाई है यही चमत्कार है। 

लेखक सर्वकालीन महानतम वैज्ञानिक हैं