रिमझिम बारिश के बीच गीत गाकर मनाया फ्रेंडशिप-डे

फ्रेंडशिप-डे
फ्रेंडशिप-डे

गले लगकर एक-दूसरे को दी शुभकामनाएं

जोधपुर। अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस या फ्रेंडशिप डे देश-विदेशों में सौहार्दपूर्ण भाव से और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे को शुभ संदेश और शुभकामनाएं प्रेषित की गई। साथ ही मित्रों और मित्रों के समूह ने अपने अपने स्तर पर आयोजन कर मित्रता दिवस मनाया। जिसके चलते पाल रोड स्थित नरपत नगर में मित्र समूह ने सावन मास में रिमझिम बारिश के बीच गीत संगीत के साथ अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित कर और सामूहिक भोज कर मित्रता दिवस मनाया। प्रवीण-प्रतिभा जैन, अशोक-संगीता, रोमेश-नीना, गौरव-प्रीति, कपिल-डोली, ऋषि-स्नेहा ने मित्रता दिवस पर अपने सुविचार साझा किए।

दोस्ती मनाने के लिए खास दिन

अशोक-संगीता ने कहा कि यह प्रति वर्ष अगस्त के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। दोस्ती मनाने के लिए यह एक खास दिन है। सर्वप्रथम 20 जुलाई 1958 को डॉ. रामन आर्टिमियो ब्रेको द्वारा प्रस्तावित यह दिवस एक ऐसी नींव है जो जाति, रंग या धर्म के बावजूद सभी मनुष्यों के बीच दोस्ती और फैलोशिप को बढ़ावा देती है। आजकल व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के कारण से ये और प्रसिद्ध हो रहा है। मित्रता या दोस्ती पवित्र मन का एक मिलन होती है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे व्यक्ति खुद की मर्जी से चुनता है। दोस्ती में उम्र, लिंग, स्थिति, जाति, धर्म की कोई सीमा नहीं है। एक दूसरे के प्रति स्नेह की भावना रखने वाले दो तरह के दिमाग और एक समान स्थिति के बीच सच्ची और वास्तविकत दोस्ती संभव है।

साझा किए विचार

फ्रेंडशिप-डे

इस अवसर पर लेखक प्रवीण जैन ने अनूठे अंदाज में अपने विचार साझा करते हुए लिखा…
दर्द बाँट लेते हैं जिंदगी के दोस्तों के साथ मिलकर। बढ़ाते हैं आगें हर क़दम दोस्तों के साथ चलकर।
सच्चा दोस्त संभाल लेता हैं दोस्त को गिरने और संभलने से पहले। पढ़ लेता हैं चेहरा दोस्त का एक आँसू निकलने से पहले।
एक सच्चा दोस्त रहता है साथ दीपक की रोशनी बनकर। साथ निभाता है हमेशा आपकी ज़िंदगी बनकर।
प्यार मिलता हैं नसीब से। किस्मत से मिलतीं हैं दोस्ती। रिश्ते बहुत हैं जिंदगी में निभाने कि लिए। पर वफ़ादारी कीं क़ीमत से मिलती हैं दोस्ती। साथ हंसना ,साथ रोना सभी कर सकते हैं। आंसू दोस्त का खुद की आंख से निकलने से मिलती हैं दोस्ती। न लेने की, न देने कीं, न पाने कीं, न खोने कीं। बस हमेशा साथ निभाने कीं होती हैं दोस्ती। न कोई छोटा, न कोई बड़ा किसी भी मोड़ पर। बस कृष्ण और सुदामा के जैसी होती हैं दोस्ती।

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