गुलाब नबी आज़ाद से चंद्रराज सिंघवी मुलाकात, राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी

राजस्थान के आगामी चुनाव में कांग्रेस कैसे रिपीट हो, को लेकर हुई लंबी चर्चा : सिंघवी

जयपुर। राजनीति के चाणक्य, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव और पूर्व केबिनेट मंत्री चन्द्रराज सिंघवी इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं। यह चर्चा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद के साथ उनकी लम्बी राजनीतिक मुलाकात को लेकर हो रही है। दरअसल, सिंघवी ने हाल ही में गुलाम नबी से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की है। इस मुलाकात की तस्वीरें सामने आने के बाद राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

सिंघवी की गुलाम नबी से मुलाकात की तस्वीरों से उनके समर्थकों में काफी उत्साह भी दिखाई दे रहा है। इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि सिंघवी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार फिर से बनवाने को लेकर सक्रिय हुए हैं और इस दिशा में अपनी चाणक्य नीति से गुलाम नबी को अवगत करवाने दिल्ली पहुंचे हैं।

बता दें कि गुलाब नबी अभी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं में गिने जा रहे हैं। नबी लगातार केंद्रीय नेतृत्व में परिवर्तन की मांग उठा रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि सिंघवी ने आने वाले राजस्थान चुनाव के अलावा गुलाब नबी से उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर चर्चा की है। इस दौरान सिंघवी ने उन्हें अपनी चिंता से अवगत करवाया है साथ ही पार्टी में सक्रिय रहकर काम करने की अपील करते हुए राजस्थान में फिर से चुनाव जिताने के लिए पार्टी के साथ खड़े रहने की अपील की।

कांग्रेस में पुनर्गठन की आवश्यकता

चन्द्रराज सिंघवी ने कहा है कि चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कांग्रेस के पुनर्गठन की आवश्यकता है। नहीं तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना तय है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अध्यक्ष और संगठन में बदलाव से कांग्रेस को आगामी चुनाव में फायदा सम्भव है। वे चाहते हैं कि देश के लोकतंत्र में सक्षम प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस का पुनर्गठन होना बेहद आवश्यक है। सिंघवी ने कहा कि पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद से उनकी मुलाकात हुई थी। उन्हें भी लगता हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से समझौते के मूड में हैं। कांग्रेस के पास भी उन जैसा कोई दूसरा कदावर मुस्लिम चेहरा नहीं हैं। इस कारण वे मुख्यधारा में वे लौट सकते हैं। वैसे भी असंतुष्ट अभी चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि चंद्रराज सिंधवी सचिन पायलट को आगे लाने के लिये पहले भी प्रयास करते रहे है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सिंघवी एक ही जिले से होने के बाद भी उनका तालमेल गहलोत से नहीं बैठ पाया। जबकि एक राजनीति के जादूगर तो दूसरे चाणक्य कहलाते है। देखना है राजनीति किस करवट बैठती है या क्या दोनों एक और एक ग्यारह बन कर कांग्रेस की नैया पार लगाते है।