एम-सेंड के रुप में मिलेगा बजरी का सस्ता व मजबूत विकल्प-माइंस मंत्री

जयपुर। राज्य में आमनागरिकों को अब मैन्यूफेक्चर्ड सेंड के रुप में बजरी का सस्ता, सुगम और मजबूत विकल्प उपलब्ध हो सकेगा। मुख्यमंत्री अषोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित मंत्री मण्डल की बैठक में राज्य की एम-सेंड पॉलिसी का अनुमोदन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने इस पॉलिसी में एम-सेंड इकाइयों को उद्योग का दर्जा देने के साथ ही राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना, 2019 के तहत परिलाभ भी देने का निर्णय किया है। इससे राज्य में नई इकाइयों की स्थापना व निवेश को बढ़ावा भी मिलेगा।

माइंस व पेट्रोलियम मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने बताया कि बजरी खनन पर रोक के चलते बजरी के अवैद्य खनन, परिवहन व भण्डारण से आमनागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने बताया कि राज्य की एम-सेंड पॉलिसी का मुख्य उद्येश्‍य आमनागरिकों को बजरी का सस्ता और मजबूत विकल्प उपलब्ध कराने के साथ ही खनन क्षेत्रों के अवरबर्डन का उत्पादन कार्य में उपयोग, नदियों से बजरी की निर्भरता पर कमी लाने, पारिस्थितिकीय तंत्र में सुधार, खनिज संसाधनों का दक्षता पूर्वक उपयोग करने के साथ ही खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना है। उन्होंने बताया कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के बेहतर अवसर भी उपलब्ध होंगे।

माइंस मंत्री श्री भाया ने बताया कि एम-सेंड पॉलिसी से राज्य में बजरी के विकल्प के रुप में उपलब्धता के साथ ही एक मोटे अनुमान के रुप में करीब 200 नई इकाइयों की स्थापना संभावित है जिससे प्रदेश में खनन क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। करीब 20 मिलियन टन सालाना एम-सेंड के उत्पादन के साथ ही पांच हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के साथ ही लाखों लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। उन्होंने बताया कि बजरी का विकल्प उपलब्ध होने से बजरी के अवैद्य खनन, परिवहन और भण्डारण पर प्रभावी रोक लगेगी। प्रदेश में निर्माण क्षेत्र को नए पंख लगेंगे और निर्माण कार्यों को नई गति मिलेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।

श्री भाया ने बताया कि बजरी के विकल्प के रुप में कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडू में भी एम-सेंड नीति के तहत मैन्यूफेक्चर्ड सेंड का उत्पादन व उपयोग किया जा रहा है।