छत्तीसगढ़ में कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से दिया त्यागपत्र

रायपुर, । छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। हालांकि अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में वह कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे। फिलहाल उनके त्यागपत्र देने का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्री के पास अब लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) महकमों का प्रभार है। सिंहदेव ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की चीजें चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है।

उल्लेखनीय है कि सिंहदेव पिछले काफी दिनों से अपने विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे थे। उनकी जानकारी के बगैर बड़े निर्णय लिये जा रहे थे। हाईकमान के ढाई-ढाई साल वाले फार्मूले के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा पूरा नहीं किया गया। बीते दिनों बड़ी संख्या में मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद से पंचायत मंत्री सिंहदेव खफा थे। इन्हीं सब वजहों को लेकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। इसके साथ इस इस्तीफे को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सिंहदेव ने सिर्फ पंचायत विभाग से इस्तीफा दिया है। वे अभी स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहेंगे।

टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा अपने विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर से भेजा है। पिछले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस की विजय के सूत्रधार रहे हैं। 17 दिसम्बर, 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्रियों टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन कर सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी। किसानों की कर्जमाफी और 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐतिहासिक फैसला भी इन्हीं तीन लोगों ने मिलकर किया था।

बीते दिनों बड़ी संख्या में मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद से पंचायत मंत्री सिंहदेव खफा थे। उसी समय से इस इस्तीफे को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे।

हाल ही में प्रदेश के करीब 10 हजार मनरेगाकर्मी राजधानी में अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर 63 दिनों से हड़ताल पर थे। इससे नाराज होकर सरकार ने 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। फिलहाल सभी अधिकारियों को बहाल कर दिया गया है।