चुनावों में फॉच्र्यूनर में बैठने जितने आएंगे कांग्रेस के विधायक

राजेन्द्र गुढ़ा
राजेन्द्र गुढ़ा

गुढ़ा बोले-पायलट को पहले सीएम बना देना चाहिए था, दिव्या ने किया समर्थन

जयपुर। सचिन पायलट समर्थक मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर गहलोत सरकार को निशाने पर लिया है। गुढ़ा ने चुनावों में 10 से भी कम विधायक आने का दावा किया है। गुढ़ा ने यहां तक कह दिया कि सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया तो चुनावों में कांग्रेस के एक कार में बैठने जितने ही विधायक जीतेंगे। गुढ़ा के बयान का कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने भी समर्थन किया। कांग्रेस सरकार के मंत्री और विधायक के इस बयान की सियासी हलकों में खूब चर्चा हो रही है।

राजेंद्र गुढ़ा ने कहा-सचिन पायलट को बहुत पहले सीएम बना देना चाहिए था। पायलट को सीएम बनाने में बहुत लेट हो गए। अब भी पायलट को सीएम बना दिया जाए तो सरकार रिपीट हो सकती है। अगर सचिन पायलट को सीएम नहीं बनाया तो कांग्रेस के विधायक एक फॉच्र्यूनर में आ जाएंगे। उसमें बैठकर सारे विधायक सबसे पहले चार धाम की यात्रा करेंगे।

दिव्या ने किया गुढ़ा का समर्थन

राजेन्द्र गुढ़ा
राजेन्द्र गुढ़ा

गुढ़ा के बयान का कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने भी समर्थन किया है। गुढ़ा के बयान वाले वीडियो को शेयर करते हुए दिव्या मदेरणा ने ट्वीट कर ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधा। दिव्या ने लिखा- नौकरशाही की कार्यशैली से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस सरकार को एक फॉच्र्यूनर में बैठाने का कोई अखंड संकल्प ले चुकी है।

गुढ़ा और दिव्या ने लंबे समय से मोर्चा खोल रखा है

राजेंद्र सिंह गुढ़ा और दिव्या मदेरणा ने 25 सितंबर से ही गहलोत कैंप के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का गहलोत कैंप के विधायकों के बहिष्कार के बाद से गुढ़ा और दिव्या हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। गुढ़ा पायलट की पैरवी करते हुए सीएम गहलोत पर पावर सेंट्रलाइज करने का आरोप लगा चुके हैं। दिव्या मदेरणा ब्यूरोक्रेसी के कामकाज पर सवाल उठाते हुए गहलोत कैंप को घेर रही हैं।

सियासी बवाल के जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एक्शन पेंडिंग

मंत्री राजेंद्र गुढ़ा दो दिन पहले सीएम गहलोत पर पावर सेंट्रलाइज करने और मंत्रियों की नहीं चलने को लेकर हमला बोल चुके हैं। विधायक दल की बैठक के बहिष्कार का जिम्मेदार ठहराते हुए मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को 27 सितंबर को ही नोटिस देकर 10 दिन में जवाब मांगा था। तीनों नेता नोटिस का जवाब दे चुके हैं लेकिन अब तक कांग्रेस हाईकमान ने इस मुद्दे पर कोई एक्शन नहीं लिया है।

पायलट खुद तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन की मांग कर चुके

सचिन पायलट खेमा विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के जिम्मेदार तीन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है। खुद सचिन पायलट ने पिछले दिनों कहा था कि विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने वाले नेताओं के खिलाफ जल्द एक्शन होना चाहिए। पायलट ने उस दिन मानगढ़ धाम के कार्यक्रम में पीएम मोदी के सीएम गहलोत की तारीफ करने पर भी तंज कसते हुए गुलाम नबी आजाद से तुलना कर सियासी चर्चाएं छेड़ दी थी।

एक्शन में देरी पर पायलट कैंप की नाराजगी और हताशा

राजेंद्र गुढ़ा के बयान को हाईकमान के एक्शन लेने में देरी से उपजी हताशा के तौर देखा जा रहा है। गुढ़ा के अलावा पायलट भी तीनों नेताओं के खिलाफ एक्शन की मांग कर चुके, लेकिन अब तक हालत जस की तस है। नए सिरे से विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए ऑब्जर्वर भेजने पर भी कोई फैसला नहीं हुआ है। पायलट कैंप को अक्टूबर में एक्शन की उम्मीद थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। राजनीतिक जानकार इसे प्रेशर पॉलिटिक्स से भी जोड़कर देख रहे हैं। पायलट खेमे को लगता है कि अब अगर मामला ठंडा पड़ गया तो दिसंबर तक कुछ होने के आसार कम हैं। दिसंबर अंत तक तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में रहेगी। इसके बाद बजट सत्र आ जाएगा। पायलट खेमा जल्द एक्शन चाहता है, इसलिए बयानबाजी के पीछे हताशा और प्रेशर पॉलिटिक्स दोनों फैक्टर देखे जा रहे हैं।

गुढ़ा पहले कट्टर गहलोत समर्थक थे

राजेंद्र गुढ़ा पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक रहे हैं। दो बार बसपा से कांग्रेस में विलय किया। गहलोत के पिछले कार्यकाल में राजेंद्र गुढ़ा की अगुवाई में ही छह बसपा विधायकों ने कांग्रेस में विलय किया था। उस समय गुढ़ा बसपा विधायक दल के नेता थे। गुढ़ा के अलावा 2008 में बसपा के टिकट पर जीते राजकुमार शर्मा, रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा, रामकेश मीणा, गिर्राज सिंह मलिंगा ने कांग्रेस में विलय किया था। उस वक्त गुढ़ा और राजकुमार शर्मा राज्य मंत्री बनाए गए थे, जबकि चार ससंदीय सचिव बने थे।

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