अलवर, झुन्झुनू, राजसंमद और जैसलमेर के कॉपर, सिल्वर, लाइम स्टोन व स्टीलग्रेड लाइमस्टोन ब्लॉक आक्शन के लिए तैयार : अग्रवाल

राज्य में अलवर, झुन्झुनू, राजसंमद और जैसलमेर के कॉपर, सिल्वर, गोल्ड, लाइम स्टोन व स्टीलग्रेड लाइमस्टोन आदि भण्डारों के नए ब्लॉकों में खनन के लिए नीलामी की कार्यवाही जल्दी ही शुरु की जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने इस संबंध में अधिकारियों को आक्शन की कार्यवाही आरंभ करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने राज्य में नीलामी योग्य खनिज ब्लॉकों में उपलब्ध संभावित खनि संपदा के आधार पर रिअलाइन और रिडिजाइन करने के भी निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि इससे आक्षन के दौरान अधिक प्रतिस्पर्धा होने के साथ ही राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त हो सकेगा, वहीं इन क्षेत्रों में अवैध खनन पर भी रोक लग सकेगी।

एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल शुक्रवार को सचिवालय से केन्द्र सरकार द्वारा गठित संयुक्त कार्य समूह (ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप) की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए वर्चुअल मीटिंग को संबोधित कर रहे थे। संयुक्त कार्य समूह में राज्य सरकार के खान एवं भूविज्ञान विभाग के साथ ही केन्द्र सरकार के माइंस, जीएसआई, एमईसीएल आदि विभाग व उपक्रम शामिल है। उन्होंने बताया कि अलवर के खेड़ा मुण्डियावास, राजसमंद के सिंदसर कालान, झुन्झुनू के गोथरा परसरामपुरा ईस्ट एवं वेस्ट के दो ब्लॉक, जैसलमेर के रामगढ़ आदि ब्लॉक ऑक्शन के लिए लगभग तैयार है।

डॉ. अग्रवाल ने जीएसआई व एमईसीएल को कहा कि वे खोज करते समय आर्थिक व व्यावसायिक दृष्टि से लाभकारी ब्लॉक तैयार करें ताकि ऑक्षन सफल होने के साथ ही अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पोटाश के दो ब्लॉकों की रिपोर्ट एमईसीएल से प्राप्त होते ही इनकी नीलामी की कार्यवाही आरंभ की जाएगी।

उन्होंने बताया कि राज्य में खनि संपदा के विपुल भण्डार है। देश के अन्य खनि संपदा वाले प्रदेशों की तरह राज्य में खनि संपदा के खोज और खनन कार्य को गति देने के समग्र प्रयास करने होंगे जिससे खनिज संपदा के खोज व दोहन से प्रदेश को अधिक व लाभकारी राजस्व प्राप्त हो सके।

उन्होंने बताया कि राज्य के अधिकारियों के दल को उड़ीसा भेजकर वहां के मॉडल का अध्ययन करवाया जाएगा। राज्य में खनिज दोहन में केन्द्र व राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा।

एमईसीएल के सीएमडी रंजीत रथ ने कहा कि ब्लॉकों के आवंटन पर अधिक राजस्व प्राप्त करने के लिए नीलामी की सफल/असफल होने के कारणों का अध्ययन कराने के साथ ही वायर्स का फीडबेक व मनोविज्ञान को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि विभाग को एसओपी भी बनानी चाहिए।

यह भी पढ़ें-प्रदेश में प्रजनन दर 2.1 प्रतिशत लाने के लिए हम दो हमारा एक की नीति अपनानी होगी : रघु शर्मा