गो संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सृजनात्मक, रचनात्मक एवं उपासनात्मक गो सेवा की जरूरत : संत दत्तशरणानंद

श्रीगंगानगर। गो संवर्धन एवं गो संरक्षण के लिए सृजनात्मक, रचनात्मक एवं उपासनात्मक गो सेवा की जरूरत है। यह बात श्री गोधाम पथमेड़ा महातीर्थ के संस्थापक गोऋषि संत दत्तशरणानंद महाराज ने बुधवार को सुखाडिय़ा सर्किल स्थित श्री गोशाला में वेदलक्षणा गो महिमा सत्संग सभा में गोभक्तों को संबोधित करते हुए कही।

उनके सान्निध्य में गो संवर्धन एवं गो संरक्षण के लिए निकाली जा रही वेदलक्षणा गो संदेश यात्रा मंगलवार को गंगानगर पहुंची। जिसके बाद बुधवार को सुबह 6 बजे शहर के विभिन्न इलाकों में सफाई यात्रा व प्रभात फेरी निकाली गई। दोपहर 12 बजे श्री गोशाला में सत्संग सभा की शुरुआत गोस्तुति से हुई। इसमें संत जगदीश गोपाल महाराज ने कहा कि नर गोवंश के पूजन और सेवा का उतना ही फल है जितना गोमाता की सेवा का। उन्होंने कहा कि अगर गर्भवती महिला रोजाना श्वेत नंदी का दर्शन मात्र कर ले तो उसे उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।

सभा में ब्रह्मचारी कल्याण स्वरूप महाराज,संगरिया से आए आचार्य दयानंद शास्त्री, वेदलक्षणा गो संदेश यात्रा की आयोजक संस्थान राजस्थान गो सेवा समिति के अध्यक्ष महंत दिनेश गिरी ने भी विचार व्यक्त किए। राजस्थान गो सेवा समिति की श्रीगंगानगर इकाई का गठन : वेदलक्षणा गो संदेश यात्रा के तहत राजस्थान गोसेवा समिति की श्रीगंगानगर इकाई का गठन किया गया। इसमें ब्रह्मचारी कल्याण स्वरूप महाराज जिलाध्यक्ष बनाए गए।

वेद प्रकाश लखोटिया, गोपाल तायल, रमेश साहुवाला, राधेश्याम गणेशगढिय़ा, अरूण लीला, विजय गोयल, रतन गणेशगढिय़ा, राम निवास तायल, नरेश कुमार अग्रवाल, सुरेश महिपाल, नितेश बंसल, राजकुमार मित्तल, सुरेन्द्र सिंह बागेल सादुलशहर, राधेराम जाखड़ पदमपुर, सुरेन्द्र कुमार स्वामी सूरतगढ़, मूलचंद गेरा, सतपाल, नीरज चावला आदि को सदस्य बनाया गया।

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