सीआरपीएफ जवान आत्महत्या प्रकरण: मांगों पर सहमति के बाद चौथे दिन उठाया शव

जोधपुर। शहर के निकटवर्ती पालड़ी खिंचियान में सीआरपीएफ जवान नरेश जाट के शव को ले जाने एवं मांगों पर आखिरकार 72 घंटे बाद सहमति बन गई। दोपहर बाद शव को उसके पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया। इससे पहले सीआरपीएफ, पुलिस आदि अफसरों ने एमजीएच की मोर्चरी पर ही उसे राजकीय सम्मान प्रदान किया। शव को राष्ट्रीय ध्वज में लिपटा कर रवाना किया गया। सीआरपीएफ गाड़ी में शव को पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया। मोर्चरी पर सीआरपीएफ अफसरों के अलावा रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने भी शव को कंधा दिया। गांव जहां उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

गुरुवार की सुबह सीआरपीएफ की एडीजी रश्मि शुक्ला भी एमजीएच मोर्चरी पर पहुंची। उनके साथ आईजी विक्रम सहगल भी मौजूद रहे। परिजनों के साथ वार्ता हुई जोकि सफल हो गई। अधिकांश मांगों पर सहमति बन गई है। पुलिस आयुक्त रविदत्त गौड़ एवं सीआरपीएफ के अधिकारियों में भी वार्ता हुई। 25 लाख रुपए के चेक के अलावा बच्ची की निशुल्क शिक्षा की शर्त मानी गई है। इसके अलावा मृतक की पत्नी की अनुकंपा नियुक्ति की बात मानी गई। वहीं प्रकरण में एडीजी स्तर पर जांच कराने पर सहमति बनी है।

गौरतलब है कि जवान नरेश जाट ने खुद को सीआरपीएफ के क्वार्टर में रविवार की देर शाम को बंद कर हवाई फायरिंग की थी। सोमवार की सुबह साढ़ेे 11 बजे के आस पास अपनी सर्विस राइफल से सुसाइड कर लिया था। मरने से पहले उसने एक वीडियो भी बनाया था, जिसमें सीआरपीएफ अफसरों पर परेशान करने का आरोप लगाया था। करवड़ थाने में इस बाबत डीआईजी सहित पांच अन्य अफसरों के खिलाफ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित किए जाने का केस दर्ज करवाया गया था। उसके पिता की तरफ से यह मामला दर्ज कराया गया था। जबकि करवड़ पुलिस और सीआरपीएफ ने मर्ग दर्ज किया था।