दसवां वेद: 8848. सकल सुधारै काम

दसवां वेद, daswa ved
दसवां वेद, daswa ved
  • ज्यां घट बहुळी बुध बसै, रीत नीत परिणाम।
  • घड़ भांगै, भांगै घडै़, सकल सुधारै काम।।

जिनके भीतर रीति-नीति के परिणाम वाली बुद्धि बहुतायत से रहती हो, वे किसी न
किसी तरह अपने सारे बिगड़े काम सुधार ही लेते हैं।

चार मित्र परदेश कमाने के लिए गए। उनमें एक बनिया, दूसरा ब्राहृाण तीसरा दर्जी और चौथा सुनार था। परदेश में रहकर उन्होंने काफी धन कमाया और जब लौटाने का समय आया तो चारों ने मिलकर सब रूपयों का एक रत्न खरीद लिया, जिससे कि उसे छिपाकर ले जा सकें और मार्ग में चोर डाकुओं का भय न रहे।

दसवां वेद: कर देखा सै कोय

चारों ने सलाह करके वह रत्न बनिये मित्र को सौंप दिया, योंकि वह उन सब में अधिक बुद्धिमान समझा जाता था। फिर वे परदेश से रवाना हो गए। मार्ग में वे एक तालाब पर खा पीकर सो गए, लेकिन सुनार जागता रहा और उसने बनिये के पास से चुपचाप रत्न निकाल कर छिपा लिया। प्रात काल जब वे उठे तो बनिये ने रत्न के चोरे जाने की सूचना दी।

इस पर चारों ने निर्णय किया कि हम चारों भाई जैसे हैं और चारों के बीच से रत्न चोरी चला गया है। अब कुछ ऐसा यत्न किया जाए कि रत्न भी मिल जाए और दोस्त भी कायम रहे। मतलब यह है कि किसी को प्रकट न हो कि चोरी किसने की है। इस समस्या को लेकर वे राजा के दरबार में पहुंचे और वहां अपनी रामकहानी सुनाई।

राजा के पास लाल निकलवाने के अनेक उपाय थे, परंतु उनकी शर्त का पालन किया जाना कठिन था, अत कोई मार्ग नहीं मिला। राजा यह भी नहीं चाहता था कि यह मुकदमा बिना निर्णय ही रहे। अत वह इस विषय में सोचने लगा।

दसवां वेद: 8847. भावी कहियै सोय

राजा की पुत्री बड़ी बुद्धिमान थी। उसने चारों मित्रों की शर्त का पालन करते हुए रत्न निकलवा देने का भार अपने ऊपर ले लिया।

चारों मित्रों को वहीं ठहरवा दिया गया। राजपुत्री ने चारों मित्रों को रात के समय चार अलग अलग स्थानों पर ठहराया। जब सब लोग सो चुके तो वह एक मित्र के कमरे में अकेली पहुंची और उसको जगाकर प्रस्ताव किया कि मैं तुम्हारे साथ विवाह करने को तैयार हूं, लेकिन शर्त यह है कि इसी समय एक लाख रूपयों के स्थान पर अपने पास छिपाये हुए रत्न को प्रकट कर दिया। राजकुमारी ने वह रत्न ले लिया और अपने महल लौट आई।

अगले दिन राजकुमारी ने चारों मित्रों को लडडू दिया और कहा कि यही उनके मुकदमे का फैसला है। उसे वे बांटकर खा लें।

जब लडडू फोड़ा गया तो उसमें उनका अपना खोया हुआ रत्न मिल गया और यह भेद भी छिपा रह गया कि उनमें से चोरी किसने की है।