दसवां वेद: 8847. भावी कहियै सोय

दसवां वेद, daswa ved
दसवां वेद, daswa ved
  • जतन करत विणसत जको, खपियां जको न होय।
  • उदैराज! संसार में, भावी कहियै सोय।।
  • जो लाख यत्न करने पर भी विनाश को प्राप्त होता है तथा जो लाख प्रयत्न करने पर भी संभव न होता हो
  • संसार में उसको भावी अथवा होनहार कहा जाता है।
  • और यह होकर रहता है।’’

एक राजा के दरबार में एक बड़ा पंडित आया। वह ज्योतिषशास्त्र में पारंगत विद्वान था। राजा ने उसका बड़़ा स मान किया और अपनी जीवन लीला की अवधि पूछी। पंडित ने राजा का जन्माक्षर देखा तो फल निकला कि वह राजा केवल एक मास और जीवित रह सकेगा। जन्माक्षर का ऐसा फल सुनकर राजा ने कहा कि इसकी सच्चाई के संबंध में कोई प्रमाण दिया जाए।

इस पर पंडित ने कहा कि सातवें दिन राजा के गाल पर विष्टा का छींटा पड़ेगा। राजा ने निश्चय किया कि वह ऐसा कभी नहीं होने देगा और इस प्रकार पंडित का दिया हुआ फल झूठा पड़ जाएगा। राजा ने आज्ञा प्रसारित करवा दी कि नगर में कोई भी व्यक्ति मल-मूत्र त्याग न करेंं
और शंका समाधान के लिए बाहर जाएं।

दसवां वेद: कर देखा सै कोय

इस राजकीय आदेश का कड़ाई से पालन करवाया गया। कोतवाल और सिपाही रात-दिन नगर में घूृमते रहते थे कि कहीं कोई राता की आज्ञा का उल्लंघन तो नहीं कर रहा। सातवें दिन राजा स्वयं नगर की स्थितिदेखने के लिए घोड़े पर चढकर निकला। सभी रास्ते व गलियां साफ थे। एक जगह मार्ग के बीच में कुछ पुष्प पड़े हुए थे। ज्यों ही घोड़े का पैर उन पर पड़ा कि उस स्थान से कुछ छींटे उछले। उनमें से एक राजा के गाल पर भी आ पड़ा। उसकी गंध से पता चला कि वह तो स्पष्ट विष्टा ही है। संयोग ऐसा हुआ कि एक मालिन ने रात को मल त्याग कर रास्ते में डाल दिया था और उसे छिपाने के लिए उस पर पुष्प रख
दिए थे।

अब राजा को निश्चय हो गया कि पंडित ने उसकी मृत्यु के बारे में जो कुछ कहा है, वह सत्य सिद्ध होगा। राजा ने ज्योतिषी को रोक रखा था। अब उससे पूछा गया कि अगले जन्म में राजा को किस योनि में पैदा होना है? उस पर पंडित ने कहा कि राजा उसी नगर में एक सूअरी के पेट से पैदा होगा। यह भविष्यवाणी और भी कठोर थी।

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राजा ने तब राजकुमार से कहा कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मुझे फलां के घर सूअरी के पेट से पैदा होना है। तुम ध्यान रखकर तब अवश्य मार डालना, ताकि मुझे विष्टा न खानी पड़े।

राजा मरकर जब सूअरी के पेट से पैदा हुआ और राजकुमार उसे मारने पहुंचा तो सूअरी का एक बच्चा चलकर स्वयं उसके पास पहुंचा और बोला कि मुझे बिलकुल मत मारना, योंकि मैं उस योनि में प्रसन्न हूं। यह सुनकर राजकुमार आश्चर्य के साथ अपने महल लौट आया।