मृत्यु सबके लिए अनिवार्य है, कोई भी इससे नहीं बच सकता : महाश्रमण

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने आचार्यश्री के दर्शन किए

भीलवाड़ा। तेरापंथनगर में चतुर्मास अभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन श्रद्धालु जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण के समक्ष अपने क्षेत्र में पधारने की अर्जी लगाने लगे हैं। आचार्य महाश्रमण की सन्निधि में राजनेताओं का दर्शनार्थ आवागमन प्रतिदिन जारी है। सोमवार को महाश्रमण सभागार में सुबह होने वाले मुख्य प्रवचन में आचार्यश्री के प्रवचन के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला दर्शनार्थ उपस्थित हुए।

लाछूड़ा के निवासियों ने श्रीचरणों में संघबद्ध उपस्थित होकर आचार्यश्री को अपनी अरज सुनाई। प्रवचन में आचार्यश्री महाश्रमण ने पावन पाथेय देकर कहा कि दुनिया में जन्म लेने वाले की एक दिन मृत्यु अवश्य होती है। जिसका जन्म होता है, वह मृत्यु को भी प्राप्त होता है। जन्म-मृत्यु का एक चक्र है, जो सदैव चलता रहता है।

मृत्यु सबके लिए अनिवार्य है। कोई भी मृत्यु से नहीं बच सकता। कोई पत्थर के बने मकान में छिपे या वज्र के घर में अथवा मृत्यु के सामने दयनीय बन जाए, किन्तु मृत्यु किसी पर दया नहीं करती। बच्चे, बूढ़े, व्यस्क यहां तक की कभी-कभी गर्भस्थ प्राणी की भी मृत्यु हो जाती है।

कोई अमर नहीं बन सकता, मृत्यु सुनिश्चित है। जन्मा है तो मृत्यु को प्राप्त होना ही है। यह शरीर अनित्य है, तो आदमी को आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए। ऐसी साधना, ऐसा प्रयास होना चाहिए कि आदमी सिद्धत्व को प्राप्त कर इस जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाए। आदमी को धर्माराधना व साधना के द्वारा सिद्धत्व प्राप्ति की दिशा में गति करने का प्रयास करना चाहिए।

आचार्यश्री के प्रवचन के बाद केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला व अन्य जनप्रतिनिधि आचार्यश्री की सन्निधि में दर्शनार्थ उपस्थित हुए। आचार्यश्री के दर्शन करने के बाद उन्होंने अपनी भावाभिव्यक्ति में कहा कि यह मेरा सौभाग्य है जो आचार्यश्री महाश्रमण के दर्शन करने का अवसर मिलता रहता है। आचार्यश्री ने उन्हें राजनीति में भी नैतिकता, अहिंसा, सद्भावना आदि रखते हुए पवित्र सेवा करने की प्रेरणा प्रदान की। बालिका विदिशा लोढ़ा, रितू जैन ने गीतों का संगान किया।

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