मन, वचन और काया में सरलता से दूर होंगे छल-कपट : अमितसागर

दसलक्षण महापर्व : अभिषेक के साथ भगवान आदिनाथ का पूजन

उदयपुर। दिगंबर जैन समाज में दसलक्षण महापर्व के तीसरे दिन रविवार को उत्तम आर्जव धर्म मनाया गया। सेक्टर-11 स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में सुबह श्रीजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। मुनि अमित सागर ने कहा कि मन, वचन, काया में सरलता ही उत्तम आर्जव धर्म है। जो जीव गुरु, माता-पिता से छल-कपट करता है, वह कभी सुखी नहीं रहता।

जीवन में आर्जव लाना है, तो छल-कपट का त्याग करना होगा। प्रचार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने अभिषेक, शांति धारा और आदिनाथ भगवान की पूजा अर्चना की गई। इधर, चित्तौड़ा समाज की ओर से शीतलनाथ मंदिर में शांति धारा हुई। अध्यक्ष सुरेश पदमावत ने बताया कि महिलाओं ने 10 लक्षण विधान किए। बड़ा बाजार स्थित संभवनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पंचामृत अभिषेक किया गया।

युवक परिषद अध्यक्ष रवीश मुंडलिया ने बताया कि मूलनायक भगवान संभव नाथ की शांतिधारा हुई। इधर, चातुर्मास स्थलों पर जैन संतों ने संवत्सरी पर्व का महत्व समझाया। प्रवर्तक सुकनमुनि ने विज्ञान समिति में कहा कि क्षमा वीरों का भूषण है। क्षमा याचना मन, वचन और करम से होनी चाहिए। बलीचा स्थित ध्यानोदय तीर्थ क्षेत्र में प्रभु कामधेनु शांतिनाथ पर महा शांतिधारा की गई। सुप्रकाश ज्योति मंच के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि अमृत अभिषेक हुआ। डॉ. मुकेश जावरिया, वीरेंद्र धन्नावत, संजय कोठरी, बदामीलाल चित्तौड़ा मौजूद थे।

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