दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को पार्षद पद से हटाने के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगाई

नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को पार्षद पद से हटाने के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके खिलाफ ताहिर हुसैन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई करते हुए आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने ताहिर हुसैन को नगरपालिका निकाय के पार्षद के रूप में आयोग्य ठहराए जाने के पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) के फैसले पर रोक लगा दी है।

हिंसा नहीं इस वजह से रद्द की थी सदस्यता

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के आरोपी आप पार्षद ताहिर हुसैन की सदस्यता पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सदन में समाप्त कर दी गई थी। सदन की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहने पर यह कदम उठाया गया था। ताहिर फरवरी में हुई हिंसा से पहले जनवरी, फरवरी व बाद में जून और जुलाई में बिना किसी सूचना के सदन की बैठकों से अनुपस्थित रहे थे।

दरअसल, नगर निगम अधिनियम की धारा 35 की उप धारा दो में प्रावधान है कि निगम का कोई सदस्य अगर बिना पूर्व सूचना के लगातार सदन की तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है तो सदन के संबंधित पार्षद की सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है।

इसी प्रावधान के तहत सदन में नगर निगम सचिव ने प्रस्ताव पेश किया। चर्चा के बाद सर्वसम्मति से प्रस्ताव को सदन से मंजूरी मिल गई। प्रस्ताव के अनुसार, ताहिर हुसैन वार्ड संख्या 59 ई का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। यह सीट खाली हो गई थी।

सदस्यता रद्द करने के बाद 61 पार्षद रह गए

गौरतलब है कि मार्च से लेकर मई तक लॉकडाउन के कारण कोई बैठक नहीं हो सकी थी। वहीं, तीन निगम पार्षदों ने दिल्ली विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होने पर अपने सदस्यता पद से भी त्यागपत्र दे दिया है यानी अब निगम के पास केवल 61 पार्षद रह गए हैं। जबकि निगम के अंतर्गत 64 वार्ड आते हैं।