कोरोना की दूसरी लहर के बाद भारत में विदेशी फलों की डिमांड बढ़ी, कीवी-ब्लूबेरी-सेब की भारी मांग

कोविड की दूसरी लहर के बीच शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले रसीले फलों की मांग में खासा इजाफा हुआ है। इसको देखते हुए अच्छी क्वॉलिटी के विदेशी फलों की डिमांड काफी बढ़ी है। अमेरिका से मंगाए जाने वाले सेब और ब्लूबेरी के अलावा चिली की कीवी की भारी मांग है। ब्लूबेरी 2,200-2,500 रुपए प्रति 1.50 किलो की दर से मिल रही है। चिली की कीवी का भाव 700-800 रुपए प्रति 10 किलो चल रहा है।

फलों के कारोबार से जुड़े दिग्गजों के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर के बीच अप्रैल से इन फलों के आयात में 20-30त्न सालाना की बढ़ोतरी हुई है। वॉशिंगटन एपल कमीशन के इंडिया रेप्रेजेंटेटिव सुमित सरन के मुताबिक, ग्राहकों की सोच में खासा बदलाव आया है। लोग तंदुरुस्ती के लिए फायदेमंद माने जाने वाले फलों पर ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं।

अप्रैल में सेबों की भारतीय किस्मों का सीजन खत्म हो जाता है। इसके बाद वॉशिंगटन एपल का आयात बढऩा शुरू होता है। इस सेब की कीमत में बढ़ोतरी का दौर जुलाई तक चलता है। जहां तक वॉशिंगटन एपल की कीमत की बात है, तो दिल्ली की आजादपुर मंडी में इसकी कीमत 4,200 से 4,400 रुपए प्रति 20 किलो है।

हर साल दो लाख टन सेबों का आयात होता है, जिनकी औसत लागत देश में 120-150 रुपए प्रति किलो तक पड़ती है। जहां तक वॉशिंगटन वेराइटी के इंपोर्ट की बात है तो यह मार्च 2021 में खत्म वित्त वर्ष में घटकर 3,81,614 कार्टन तक रह गया था। एक साल पहले 10.70 कार्टन का इंपोर्ट हुआ था, वह भी तब जबकि रसीले फलों पर आयात शुल्क 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया था।

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