क्या राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही यशवंत सिन्हा ने मानी हार?

जानें अब तक कितनी आगे निकलीं द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति चुनाव की तारीख नजदीक आते ही सियासी खेमों में हलचल बढ़ गई है। भाजपा की अगुआई वाली एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा जोरशोर से प्रचार करने में जुटे हैं। दोनों अलग-अलग राज्यों में जाकर राजनीतिक दलों से समर्थन मांग रहे हैं। इस बीच, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का एक बयान चर्चा में आ गया है। जिसमें वह भाजपा पर निशाना साधते हुए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू पर भी हमला करते हैं। इस बयान के आने के बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि चुनाव से पहले ही यशवंत सिन्हा ने हार मान ली है। आंकड़े भी यशवंत के खिलाफ ही हैं। आइए जानते हैं कि क्यों हो रहे ऐसे दावे?

यशवंत सिन्हा का कौन सा बयान चर्चा में?

राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा सोमवार को प्रचार कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, वह (द्रौपदी मुर्मू) यह संकल्प लें कि चुनाव जीतने के बाद वह एक रबर स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं होंगी। देश में सांप्रद्रायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों के खिलाफ बोलेंगी। सिन्हा के इस बयान पर जहां, भाजपा ने पलटवार किया है तो सियासी पंडित इसे उनकी हार की आहट बता रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह कहते हैं, कहीं न कहीं यशवंत सिन्हा को इस बात का एहसास होने लगा है कि वह आंकड़ों में द्रौपदी मुर्मू से काफी पीछे चल रहे हैं। यही कारण है कि वह इस तरह के हमले कर रहे हैं। प्रो. सिंह आगे कहते हैं, सिन्हा के बयानों को सुनकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह खुद की हार मान चुके हैं। यही कारण है कि वह अब निजी तौर पर सत्ता पक्ष को निशाने पर ले रहे हैं। आमतौर पर राष्ट्रपति के उम्मीदवार ऐसे बयान देने से बचते हैं।

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सिन्हा के बयान पर भाजपा ने क्या कहा?

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने सिन्हा के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, एक आदिवासी महिला इस पद के लिए सक्षम नहीं है, सिन्हा की यह सोच उनकी बुरी मानसिकता को दर्शाती है। सीटी रवि ने कहा, निश्चित रूप से देश को रबर स्टैंप राष्ट्रपति की जरूरत नहीं है, लेकिन उसी तरह अपने दम पर आगे बढ़ी आदिवासी महिला के खिलाफ झूठा प्रचार करने की मानसिकता खतरनाक है। उन्होंने कहा कि मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल के रूप में, ओडिशा में एक मंत्री और विधायक के रूप में और एक कॉलेज में लेक्चरर के रूप में अपनी क्षमताओं को पहले ही साबित कर दिया है। यह महसूस करना कि आदिवासी महिला सक्षम नहीं है, किसी की घटिया मानसिकता को दर्शाता है।