दिगंबर जैन समाज ने मनाया उत्तम मार्दव धर्म दिवस, श्रीजी का किया अभिषेक

बांसवाड़ा। दिगंबर जैन समाज के श्रावकों और श्राविकाओं ने दस लक्षण पर्व का दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया। इस अवसर पर मोहन कॉलोनी-रातीतलाई, खांदू कॉलोनी,बाहुबली कॉलोनी, वसुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में शांति धारा, अभिषेक और पूजन के कार्यक्रम कोविड19 की गाइड लाइन की पालना के तहत किए गए। खांदू कॉलोनी श्री श्रेयांसनाथ जिनालय में सुंद्रावत हरीश कुमार, प्रकाश जगीसोत ने अभिषेक और शांतिधारा की। वहीं तत्वार्थ सूत्र का वाचन गुंजन जैन, अर्पित जैन, अनिता जैन और निर्मल जैन ने किया।

शाम को जिनालय में भक्तांबर आरती की गई और पंडित अभिषेक जैन ने प्रवचन दिए। वहीं मोहन कॉलोनी-रातीतलाई स्थित जिनालय में आचार्य सुंदर सागर महाराज ने कहा कि एक छोटा सा अहंकार भी पतन का कारण बन जाता है। आचार्यश्री ने कहा कि पर्यूषण का शुभारंभ होने से इस शुभ अवसर पर जिनेन्द्र भक्ति और संत समागम दोनों का लाभ बांसवाड़ा के श्रावकों को मिल रहा है। आज उत्तम मार्दव का पालन करने का प्रयास करते हैं।

यह मार्दव धर्म ”मैं को छोडऩे का पर्व है। ”मैं को हटाने का पर्व है, मैं से तात्पर्य है अंहकार। जहं अपने अस्तित्व के प्रदर्शन का अभाव है और दूसरे की सहज स्वीकृति है। वही मार्दव धर्म कहलाता है। मुनि अध्ययन सागर महाराज ने कहा कि जब सुख साधनों की अनुकूलता होती है, तब मान कषाय आती है, क्रोध परिस्थिति की प्रतिकूलता में आता है, मान अनुकूलता में आता है। जब यह मानते है कि परवस्तु मेरी है, तब मान आता है।

उत्तम मार्दव धर्म को अंगीकार कर हम विनय को जीवन में स्थान दे तभी यह पर्व सार्थक होगा। प्रवक्ता प्रिंस लिखमावत व मंयक जैन ने बताया कि आचार्य श्री के सानिध्य में भगवान का पंचामृत अभिषेक एवं विश्व शांति की कामना हेतु शांतिधारा अशोक वोरा ने की। शाम को श्रीजी की आरती का नवीन धर्मचंद जैन ने की।

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