जयपुर । दक्षिण ऑस्ट्रेलिया सरकार की वॉटर एम्बेसेडर कार्लिन मेवॉल्ड के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने बुधवार को सचिवालय में अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल डॉ सुबोध अग्रवाल से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान भूजल प्रबंधन एवं जल शुद्धिकरण में आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर सहयोग के बारे में चर्चा हुई।
डॉ. अग्रवाल से चर्चा के दौरान दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की वॉटर एम्बेसेडर ने बताया कि राजस्थान एवं साउथ ऑस्ट्रेलिया की भौगोलिक परिस्थितियां कुछ हद तक मिलती-जुलती हैं। ऎसे में विभिन्न क्षेत्रों में साउथ ऑस्ट्रेलिया द्वारा राजस्थान को तकनीकी सहयोग दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया था, जिसके तहत ‘ऑस्ट्रेलिया इण्डिया वॉटर सेंटर’ स्थापित किया गया है। भारत के 17 अग्रणी तकनीकी संस्थान तथा ऑस्ट्रेलिया के 9 अग्रणी तकनीकी संस्थान एवं अन्य शोध संस्थान इस सेंटर के सदस्य हैं।
श्रीमती मेवॉल्ड ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया इण्डिया वाटर सेंटर जल प्रबंधन एवं जल से संबंधित अन्य विषयों पर शोध, शैक्षणिक गतिविधियों एवं क्षमता संवद्र्धन कार्यक्रम का भी संचालन कर रहा है। उन्होंने राजस्थान को इस सेंटर में प्रतिभागी बनकर नए अनुसंधान एवं नई तकनीकों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बताया कि साउथ ऑस्ट्रेलिया के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा विकसित तकनीक के माध्यम से कम लागत में पर्यावरण पर विपरीत असर डाले बिना हानिकारक तत्वों को हटाकर जल शुद्धिकरण किया जाता है। इस तकनीक का लाभ राजस्थान उठा सकता है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल डॉ सुबोध अग्रवाल ने प्रतिनिधि मण्डल को राजस्थान में जल प्रबंधन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों एवं अपनाई गई तकनीक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रतिनिधि मण्डल को बताया कि प्रदेश में वर्ष 2050 तक की पेयजल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न पेयजल योजनाएं तैयार की जा रही हैं।
डॉ. अग्रवाल ने बैठक में मौजूद निदेशक डब्ल्यूएसएसओ सतीश जैन को निर्देश दिए कि राजस्थान सरकार एवं साउथ ऑस्ट्रेलिया के बीच पेयजल प्रबंधन एवं अन्य विषयों पर आपसी सहयोग के संबंध में आवश्यक स्वीकृतियों एवं प्रस्तावित एमओयू के लिए शीघ्र ही एक कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करेें।
बैठक में साउथ ऑस्ट्रेलिया सरकार की प्रिंसिपल पॉलिसी एडवाइजर सिमॉन स्टिवर्ट, तकनीकी विशेषज्ञ स्टीव मॉर्टन एवं मार्क केरी भी मौजूद थे।