
क्या आप जानते हैं कि लिवर क्या है और इससे संबंधित बीमारियों के प्रति कैसे रह सकते हैं जागरूक? यहां हम लिवर और लिवर से संबंधित बीमारियों के प्रति कैसे रहें सचेत, इसकी विस्तृत जानकारी देने वाले हैं। इसके लिए सबसे पहले जानते हैं कि लिवर क्या है! लिवर पेट के ऊपर दाईं तरफ स्थित फुटबॉल बराबर एक अंग है। इसके कई कार्य हैं, जिनमें बाइल बनाना, बिलिरुबिन सोखना, फैट और प्रोटीन को तोडऩा, कार्बोहाइड्रेट स्टोर करना, ब्लड से टॉक्सिन निकाल कर ब्लड को फिल्टर और साफ करना आदि शामिल हैं।
आपको यह जान कर हैरानी होगी कि लिवर अगर 25त्न भी स्वस्थ है, तो यह खुद को तेजी से दोबारा पूरे तरीके से ठीक कर सकता है। लेकिन लिवर सिरोसिस हो जाए, जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर अस्वस्थ हो जाता है, तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। कुछ लक्षणों की मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि आप लिवर सिरोसिस की समस्या जूझ रहे हैं।
लिवर सिसोरिस के लक्षण

आइए जानते हैं कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जिससे आप आसानी से लिवर सिरोसिस या लिवर संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या का पता शुरुआती स्टेज में ही लगा सकते हैं, जिससे सही समय पर उचित इलाज शुरू करने में आसानी मिलेगी। हैं-स्वस्थ लिवर सबसे पहले फैटी लिवर में बदल जाता है, उसके बाद लिवर फाइब्रोसिस का रूप लेता है और आखिर में लिवर सिरोसिस बन जाता है। इसके बाद शरीर में निम्न लक्षण नजर आते हैं-
सबसे पहले स्किन और आंखों में पीलापन नजर आने लगता है, जिसे पीलिया भी कहते हैं।
गहरा पीला पेशाब

गाढ़ा भूरा या खून के रंग जैसा मल
उल्टी
मितली
पैरों में सूजन
स्किन में खुजली
भूख कम लगना
हर समय थकावट महसूस करना
पेट दर्द
कमजोरी
जोड़ों में दर्द
बिना कारण वजन घटना
अगर इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण कई दिन से महसूस हो रहे हैं, तो तत्काल में लिवर फंक्शन टेस्ट कराए और डॉक्टर संपर्क करें। इस टेस्ट को शॉर्ट में रुस्नञ्ज भी कहते हैं। इस टेस्ट के जरिए आप निम्न चीजें पता कर सकते हैं-
लिवर के संक्रमण का पता चलता है
लिवर सिरोसिस है या नहीं, और अगर है तो किस हद तक है, इसका पता लगाया जा सकता है
अगर किसी प्रकार का इलाज करवा रहे हैं, तो उसके प्रभाव का भी पता चलता है
किसी भी दवा के साइड इफेक्ट का पता चलता है
यह भी ध्यान रखें
लक्षण महसूस होने पर सचेत रहने के लिए कराना एक कारगार तरीका है, लेकिन अगर किसी प्रकार के लक्षण महसूस नहीं भी हो रहे हैं, तब भी सावधान रहने के लिए और स्वास्थ्य की दृष्टि से हर 6 महीने या साल भर में एक बार इसे करवाते रहना चाहिए। इसमें किसी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती है। टेक्नीशियन घर आकर ब्लड सैंपल ले जाते हैं और एक ही दिन में आपके लिवर की पूरी जानकारी आपके हाथों में होती है।