कोविड-19 बचाव के लिए ट्रायल की सात दवाओं में से चार आयुर्वेद की : डॉ. मांडे

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे, dr shekhar mande
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे, dr shekhar mande

नई दिल्ली। कोविड-19 के खिलाफ देश की शीर्ष वैज्ञानिक अनुसंधान संस्था ‘काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च’ (सीएसआईआर) की 37 लैब में लॉकडाउन के दौरान वैज्ञानिक अलग-अलग शोध व तकनीकी विकास में लगे हैं। सीएसआईआर के महानिदेशक डा. शेखर मांडे ने एक साक्षात्कार में यह जानकारी देते हुये बताया कि चूंकि कोरोना के इलाज के लिए दवा या वैक्सीन दोनों में से कुछ भी कारगर हो सकता है ।

इसको देखते हुए क्लिीनिकल ट्रायल के लिए सात दवाओं का चयन किया गया है। इनमें से चार आयुर्वेदिक व तीन एलौपेथी दवाएं है। यह अपने आप में बहुत बडी बात है कि ऋग्वेद के समय से चला आ रहा आयुर्वेद एक बार फिर अपने स्वर्णिम युग के लिए मानव सभ्यता के द्वार पर दस्तक दे रहा है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डा. शेखर मांडे ने बताया कोविड-19 की सात दवाओं में से चार ट्रायल आयुर्वेद की

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही कोरोना से बचाव के लिये इम्यूनिटी बढाने एवं इस हेतु आयुष मंत्रालय की एडवाइजऱी अनुसार उपयोग के लिए प्रेरित करते रहे हैं।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने उक्त साक्षात्कार में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि सीएसआईआर ने कोरोनावायरस के सर्विलांस के लिए तीन लैब-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलि यूलर बायोलॉजी (हैदराबाद), इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (नई दिल्ली) और इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टे नोलॉजी (चंडीगढ़) में देश के अलग-अलग हिस्सों से मरीजों के 100 से ज्यादा सैंपल से मिले वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई।

इनमें वायरस के अलग-अलग लैड (स्ट्रेंड) तो मिले लेकिन अभी तक भारत विशेष क्यूटेशन नहीं मिला है। जो लेड मिले हैं, उनसे पता चलता है कि वह यूरोप, मध्य एशिया, साउथ एशिया और पश्चिमी एशिया से भारत पहुंचा है। मई के आखिरी तक एक हजार वायरस सैंपल के जीनोम सीक्वेंसिंग करने का लक्ष्य है।

सीएसआईआर यह डेटा ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इं लूूएंजा डेटा के साथ साझा करेगा। जीनोम सीक्वेंसिंग से न केवल वायरस की उत्पत्ति को समझने में मदद मिलती है बल्कि दवा या टीका बनाने की प्रक्रिया में यह मददगार साबित होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह एक गलतफहमी है कि वै सीन ही एकमात्र कोविड-19 का इलाज है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने बताया मरीजों के 100 से ज्यादा सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग की

यह दवा या वैक्सीन दोनों में से कुछ भी हो सकता है। कोविड-19 पर शुरुआती शोध से हमारी समझ बढ़ रही है। सीएसआईआर ने दो दर्जन से ज्यादा दवाओं को कोरोना के इलाज में नए सिरे से उपयोग के लिए चुना है।

इनमें से माइक्रोबैक्टीरियम डब्ल्यू पर ट्रायल शुरू कर दिया है और इसके अलावा फेविपीराविर और एचसीक्यूएस के ट्रायल के लिए भी अनुमति मिली है।

आज-कल में ही दो ट्रायल एक साथ एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल और पीजीआई चंडीगढ़ में शुरू होंगे। फेविपीराविर का पेटेंट खत्म हो चुका है इसलिए यदि यह ट्रायल सफल रहा तो दवा सस्ती भी होगी। चूंकि यह दवाएं पहले से इस्तेमाल में हैं, इनके मॉलीक्यूल सेफ हैं। इसलिए इनके लिमिटेड ट्रायल करने पड़ेंगे। एक-दो महीने में देश को खुशखबरी मिल सकती है।

उन्होंने बताया कि फिलहाल इन तीन दवाओं के अलावा आयुष की चार देसी औषधियों अश्वगंधा, मुलेठी, गुड़ची पीपली और आयुष-64 (एंटी मलेरिया ड्रग) पर भी ट्रायल शुरू किया जा रहा है।

पूरे विश्व के लिये आने वाला समय आयुष का- विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का उपयोग देश व दुनिया के लिए होना चाहिए है। अब तक यह नहीं हो पाया लेकिन लगता है कि अब पूरे विश्व के समक्ष आयुर्वेद फिर अपनी वैज्ञानिक व मॉर्डन पद्धति से श्रेष्ठता सिद्ध करेगा।

भारत में अश्वगंधा, यष्टिमधु, आयुष-64 जैसी आयुष दवाओं का ट्रायल शुरू

साथ ही आयुष चिकित्सा प्रणालियों की क्लीनिकल ट्रायल को लेकर जिस तरह से आईसीएमआर के निर्देशन में तीन मंत्रालय एक साथ सामने आए है, वो ऐतिहासिक है।

वैसे तो आयुष मंत्रालय की एडवाईजरी अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिये आयुर्वेद का पूरे देश में उपयोग हो रहा है ।

यदि लीनिकल ट्रायल में इन चार देशी औषधियों को सफलता मिलती है तो यह आयुर्वेद के लिये स्वर्णिम काल का आरम्भ माना जायेगा और पूरे विश्व के लिये आने वाला समय आयुष का होगा।