शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन पर अवतरित हुआ पूर्व और पूर्वोत्तर भारत

जयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर भारत के पूर्वावंचल के प्रांतों की कलाओं को देख कर एक बारगी ऐसा लगा मानो सूर्योदय का देश मेवाड़ की धरा पर अवतरित हुआ हो। मुक्ताकाशी रंगमंच कलांगन पर आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत लोक वाद्यों के वादन से हुई। इसके पश्चात पूर्वोत्तर भारत के राज्यों असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय से आये कलाकारों ने वहां के पारंपरिक वेशभूषा व आभूषणों का प्रदर्शन रोचक अंदाज में किया गया। एक भारत श्रेष्ठ भारत की थीम पर आधारित उद्घाटन सांझ में पश्चिम बंगाल से आये कलाकारों ने एक ताल में विविधताओं के साथ ‘खोल (लोक वाद्य) वादन किया। इस अवसर पर उड़ीसा से आये बाल कलाकारों ने गोटीपुवा नृत्य में अपनी दैहिक भाव भंगिमाओं से दर्शकों और अतिथियों को रोमांचित सा कर दिया। बाल गोटीपुवाओं के साथ शास्त्रीय नृत्य शैली ऑडीसी की ब्लैन्डिंग मोहक बन सकी।

 

इसके बाद मणिपुरी कलाकार ने स्टिक परफॉरमेन्स में लकड़ी को कलात्मक सामंजस्य के साथ संतुलित करने का  करतब दिखाया। कार्यक्रम में असम का बारदोई सिकला ने जहां बागानों की मस्ती और सौम्यता को सुंदर अंदाज में अभिव्यक्त किया। झाखण्ड का छाऊ रोमंचकारी प्रस्तुति रहा। उद्घाटन कार्यक्रम में मणिपुर का लाय हरोबा, संबलपुर का संबपुरी नृत्य, मामिता जहां दर्शकों द्वारा पसंद किया गया। इस अवसर पर सुदूर प्रदेश मिजोरम के कलाकारों ने चेराव नृत्य में बांसों के बीच लयकारी के साथ नर्तन कर मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर लोक नृत्य बाई मेयी जयी तथा ऑडीसी नृत्य की प्रस्तुति उत्कृष्ट बन सकी।