जनजातीय क्षेत्रों को शैक्षिक पिछडेपन से मुक्त करने के लिए हो प्रभावी कार्य : राज्यपाल

जयपुर । राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने शिक्षा को सकारात्मक परिवर्तन का बड़ा माध्यम बताते हुए जनजातीय क्षेत्रों को शैक्षिक पिछडेपन से मुक्त करने के प्रभावी प्रयास किए जाने का आह्वान किया है। उन्होंने गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत आदिवासी भाषाओं के अध्ययन, दर्शन, इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए विशेष कार्य करने पर भी जोर दिया। उन्होंने इस संबंध विश्वविद्यालय द्वारा अपने यहां ऐसा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिए जिसके तहत आदिवासी ज्ञान-परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर लाए जाने के अधिकाधिक प्रयास हो सके।

मिश्र आज यहां गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बाँसवाडा के ऑनलाइन द्वितीय दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को यह अनुभव कराना जरूरी है कि दूसरा समाज उनसे कहीं अलग नहीं है।

उनका भी समाज में समान रूप से महत्व है। उन्होंने गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत विद्यार्थियों को सामान्य शिक्षा के साथ आदिवासी समाज के प्रकृति प्रेम, उनके जाति और वर्ग के आधार पर समानता के भाव, आदिवासी महिलाओं की स्वशासन व्यवस्था, ग्रामसभाओं आदि के बारे में भी अध्ययन करवाए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे जनजातीय समुदाय की बेहतरीन बातें सभ्य कहे जाने वाले समाज तक भी पंहुंचेगी और उनसे सभी को सीख मिल सकेगी।

राज्यपाल ने जनताजीय समुदाय को देश की सांस्कृतिक विरासत और कला-शिल्प कौशल के प्रहरी और भारतीय संस्कृति के संरक्षक बताते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर वागड क्षेत्र के जनजातीय समुदाय का सांस्कृतिक अध्ययन किये जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके तहत आदिवासी समुदाय से जुड़ी संस्कृति और इसके व्यापक सरोकारों को प्रकाश में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो सकेगा।

मिश्र ने जनजातीय विश्वविद्यालय को शिक्षण और अनुसंधान के साथ ही जनजातीय भाषाओं, औषधीय पेड़ पौधों के प्रयोग की आदिवासियों की समझ, वनस्पति, जीव और इस सबसे पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए किए जा रहे उनके कार्यों पर केन्द्रित होते हुए भविष्य की अपनी योजनाएं बनाने का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि वागड की धरती माँ त्रिपुरा सुंदरी का शक्तिपीठ होने के कारण भरपूर शक्ति एवं ऊर्जा प्रदान करने वाली है। संत मावजी एवं पूज्य गोविन्द गुरु ने अपनी तपस्या, त्याग से इसे समृद्ध किया है। इसलिए यहां जनजातीय विश्ववविद्यालय का होना भी बेहद महत्वपूर्ण है। राज्यपाल एवं कुलाधिपति ने गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय को आदिवासी शिक्षा और ज्ञान का देश का बड़ा केन्द्र बनाये जाने का आह्वान किया।