उर्दू के प्रख्यात विद्वान डॉ. अबुल फैज उसमानी का निधन, प्रदेश के पहले पीएचडी स्कॉलर थे

उर्दू के प्रख्यात विद्वान डॉ. अबुल फैज उसमानी,Dr. Abul Faiz Usmani
उर्दू के प्रख्यात विद्वान डॉ. अबुल फैज उसमानी,Dr. Abul Faiz Usmani

राजस्थान में उर्दू शोध की शुरूआत करवाने का श्रेय डॉ.उसमानी को ही हासिल है

  • प्रदेश के पहले पीएचडी स्कॉलर
  • 19 पुस्तकें हो चुकीं हैं प्रकाशित
  • लडकियों को शिक्षा दिलवाने का काम किया।
  • इनकी स्टूडेंट रहीं कई छात्राऐं आज ऊंचे सरकारी पदों पर आसीन है
  • 150 से अधिक आर्टिकल भी प्रकाशित हो चुके हैं
  • 1970 में पीएचडी की डिग्री राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर से मिली
  • राजस्थान में उर्दू शोध की शुरूआत करवाने का श्रेय डॉ.उसमानी को ही हासिल है
  • राजस्थान में उर्दू जबानो अदब पर सबसे पहले पीएचडी उनको ही मिली।

जयपुर। बुधवार देर रात उर्दू के प्रख्यात विद्वान डॉ. अबुल फैज उसमानी का 85 साल की उम्र में दुर्लभ जी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। डॉ.उसमानी करीब दो माह से अस्पताल में भर्ती थे। इनके के निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर छा गई।इन्हें आज दोपहर आगरा रोड स्तिथ कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया।

डॉ. उसमानी के निधन पर गण्यमान व्यक्तियों ने सवेंदना जताते हुए तथा मगफिरत की दुआ करते हुए कहा की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए इनके योगदान को हमेशा याद किया जायेगा। गौरतलब है कि डा. उसमानी प्रदेश के पहले उर्दू साहित्य के पीएचडी थे।

डॉ. अबुल फैज उसमानी करीब दो माह से अस्पताल में भर्ती थे

जयपुर। बाबा उर्दू राजस्थान के खिताब से नवाजे जा चुके डॉ. अबुल फैज उस्मानी को उर्दू अदब से ताअल्लुक रखने वाला हर इंसान बखूबी जानता है। डॉ. ए एफ उस्मानी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनको उर्दू अदब की खिदमत करते हुए 60 साल से भी ज्यादा का वक्त हो गया है। लेकिन कुछ दिनों से वह काफी बीमार होने के कारण अभी दुर्लभजी अस्पताल में एडमिट हैं।

इन्हें राजस्थान उर्दू अकादमी, दिल्ली,एपीआरआई टोंक से मिलने वाले अवार्ड के साथ ही बहुत सी संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है। इसके साथ ही महर्षि दयानंद सरस्वति विश्वविधालय से इन पर पीएचडी भी की जा चुकी है। डॉ. शगुफ्ता नसरीन ने डॉ. अबुल फैज उस्मानी और इल्मो-अदबी ख़िदमात शीर्षक से एक पुस्तक लिखकर अपनी डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है।

डॉ. अबुल फैज उसमानी की 19 पुस्तकें हो चुकीं हैं प्रकाशित

इसके अलावा सैकड़ों लोगों ने डॉ. अबुल फैज उस्मानी द्वारा लिखी किताबों को पढ़ा है। और सैकड़ों छात्र-छात्राएं उनसे तालीम हासिल करके बड़े-बड़े पदों पर सुशोभित हो चुके हैं। शुरू से ही उनका मार्गदर्शन नए स्कॉलर्स को मिलता रहा है। आजादी के बाद राजस्थान में उर्दू शोध की शुरूआत करवाने का श्रेय डॉ.उसमानी को ही हासिल है। उर्दू अदब में इनकी खिदमत को देखते हुए राजस्थान में इनको बाबा ए उर्दू राजस्थान के नाम से जाना जाता है।

19 पुस्तकें हो चुकीं हैं प्रकाशित

इनका पहला आर्टिकल 1952 प्रकाशित हुआ जो कि जयपुर की लीटरेरी हिस्ट्री पर था। उसके बाद से अब तक 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई जिसमें 11 किताबें राजस्थान के बारे में हैं । 1964 में कलम की तलवार, 1984-85 में राजस्थान में फारसी ज़बानो अदब के लिए गैर मुस्लिम हज़रात की ख़िदमात पुस्तक का प्रकाशन एपीआरआई टोंक ने किया। मशरिक़ी राजपुताना के क़दीम अदबी मराकिज़ अलवर, भरतपुर, धौलपुर पर आधारित पुस्तक लिखी। राजस्थान में उर्दू ज़बानो अदब के लिए गैर मुस्लिम हज़रात ख़िदमात ख़ास है। साथ ही अब तक उनके 150 से अधिक आर्टिकल भी प्रकाशित हो चुके हैं । जिनमें ज्यादातर राजस्थान के इतिहास पर शोध पत्र व राजस्थान पर रिसर्च से संबंधित हैं।

प्रदेश के पहले पीएचडी स्कॉलर

डॉ. अबुल फैज उस्मानी राजस्थान में उर्दू के पहले पीएचडी स्कॉलर हैं। हालांकि उनको 1970 में पीएचडी की डिग्री राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर से मिली। इसी साल मोहम्मद अली जैदी को भी पीएचडी दी गई थी। लेकिन राजस्थान में उर्दू जबानो अदब पर सबसे पहले पीएचडी उनको ही मिली।

डॉ. अबुल फैज उसमानी प्रदेश के पहले पीएचडी स्कॉलर थे

टोंक में महिला शिक्षा करवाई शुरू
टोंक शहर में लोग अपनी लड़कियों को कॉलेज में नहीं भेजते थे। 1966 में इनके प्रयास से पहली बार तीन मुस्लिम छात्राओं ने एडमीशन लिया। और उनमें से एक एमबीबीएस डॉक्टर बनी और दो छात्राऐं स्कूल की टीचर बनीं। इसके बाद से इन्होने लोगों को महिला शिक्षा के प्रति जाग्रत करते हुए अपने कार्यकाल में वहां की ला तादाद लडकियों को शिक्षा दिलवाने का काम किया। और इनकी स्टूडेंट रहीं कई छात्राऐं आज ऊंचे सरकारी पदों पर आसीन है। इसके अलावा इनके शिष्य हर क्षेत्र में सक्रीय हैं। खास तौर पर आएएस अधिकारी,आरपीएस अधिकारी,कॉलेज प्रिंसिपल,स्कूल प्रिंसिपल,कॉलेज-यूनिर्वसिटी में एचओडी, एसडीआई,लाईब्रेरियन आदि हैं।