एलुमिनियम प्रोडक्शन और सोलर एनर्जी सेक्टर में इंट्री

कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर में इस साल कोयले की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल कोयले की मांग में 5% की कमी दर्ज की गई। इसी को देखते हुए देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड नए साल से नॉन-कोल मानिंग सेक्टर में इंट्री लेगी। इससे पहले सरकार ने कोल सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों को कमर्शियल माइनिंग के तहत इंट्री दी।

2021 में कोल सेक्टर में आने वाली चुनौतियों के कारण कंपनी अब क्लीन एनर्जी सेक्टर में इंट्री लेने की योजना बना रही है। अगले साल दिग्गज सरकारी कंपनी कोल इंडिया एलुमिनियम प्रोडक्शन एंड माइनिंग और सोलर एनर्जी सेक्टर में प्रवेश करेगी। कोल इंडिया के सेक्रेटरी अनिल कुमार जैन ने बताया कि कोल इंडिया कोल माइनिंग के अलावा अन्य सेक्टर्स में निवेश करेगी, ताकि फॉसिल फ्यूल से कंपनी का ट्रांजिशन अन्य सेक्टर्स की तरफ हो सके।

अनिल कुमार जैन ने कहा कि कोल इंडिया नए सेक्टर्स में प्रवेश के साथ कोयला उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कोयला उत्पादन को लेकर कोल इंडिया ने 2023-24 तक 100 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए कंपनी ने 2.5 लाख करोड़ की निवेश योजना बनाई है। इसमें से कुछ राशि को क्लीन कोल टेक्नोलॉजी और डाइवर्सिफिकेशन पर खर्च करने की योजना है। साथ ही कोल प्रोडक्शन बढ़ाने पर भी खर्च किया जाएगा।

कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में 65-66 करोड़ टन कोल उत्पादन का टार्गेट फिक्स किया गया है। इसमें से नवंबर तक 33.4 करोड़ टन कोयला का उत्पादन हो चुका है। वहीं, ग्लोबल कोल खपत 2018-2020 के बीच 7% या 50 करोड़ टन घटने का अनुमान है।