विश्वविद्यालयों में विशिष्ट ज्ञान क्षेत्रों के उत्कृष्ट पाठ्यक्रम विकसित हों: राज्यपाल

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों में शोध की मौलिक दृष्टि विकसित करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा विशिष्ट ज्ञान के उत्कृष्ट पाठ्यक्रम विकसित किए जाएं।  मिश्र शुक्रवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय के ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने क्षेत्र से संबंधित स्थानीय संस्कृति और परंपरागत ज्ञान-विज्ञान पर शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा दें।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा मात्र जीविकोपार्जन के लिए ही नहीं हो बल्कि वह जीवन के सवार्ंगीण विकास के लिए होनी चाहिए। विश्वविद्यालय ऎसी शिक्षा प्रदान करने के केन्द्र बनें। उन्होंने नई शिक्षा नीति को देश के चहुंमुखी विकास पर केन्दि्रत बताते हुए इसके तहत विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम अद्यतन के नवाचार किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो कुछ पाठ्यक्रम में निर्धारित हो वही नहीं बल्कि उससे अलावा भी जो कुछ हमारे आस-पास परिवेश में नित्य नया घटित हो रहा है, उससे भी विद्यार्थी सजग रहें, इस तरह की शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थान निरन्तर प्रयासरत रहें।

मिश्र ने शेखावाटी विश्वविद्यालय द्वारा मरू क्षेत्र में वर्षा जल की एक-एक बूंद को पारंपरिक तरीको से सहेजने की परंपरा पर विशिष्ट शोध और आधुनिक संदभोर्ं में उसके उपयोग के लिए भी कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक शेखावाटी की हवेलियों के सौंदर्य, कुओं और बावड़ियों के स्थापत्य, स्थानीय लोक संस्कृति आदि की विशिष्टताओं को नई पीढ़ी तक शिक्षा के जरिए पहुंचाने की सोच पर भी कार्य करें।

राज्यपाल ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के वैचारिक अवदान की चर्चा करते हुए कहा कि ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन को उन्होंने आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन, उनके चिंतन को विश्वविद्यालयी शिक्षा में समावेश कर नई पीढ़ी को तैयार करने पर भी विचार करने की हमें आज जरूरत है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रो. वेदप्रकाश ने मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुधार पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने क्षेत्र की भौगोलिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों में लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने की सामाजिक वृत्ति विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में संवैधानिक कत्र्तव्यों का बोध कराने के लिए कुलाधिपति श्री मिश्र द्वारा की गई पहल सराहनीय है। 

कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कायक्रम के आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान के तथा मूल कत्र्तव्यों का वाचन करवाया। राज्यपाल मिश्र की ओर से कुलपति ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षाओं के 38 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किये। 

इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार, प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्दराम जायसवाल, विश्वविद्यालय के कुलसचिव अर्जुनलाल गुर्जर सहित अधिकारीगण, शिक्षकगण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी ऑनलाइन उपस्थित थे।