ताइवान के मामले में अमेरिका और चीन के बीच युद्ध की आशंका

कई दशकों से ताइवान के मामले में अमेरिका और चीन के बीच तमाम विरोधाभासों के बावजूद शांत बनी हुई है। चीनी नेताओं का कहना है कि केवल एक ही चीन है जिस पर उनका शासन है। ताइवान तो उसका विद्रोही हिस्सा है। अमेरिका केवल एक चीन के विचार से सहमत तो है पर उसने बीते 70 साल यह सुनिश्चित करने में गुजार दिए कि दो चीन हैं।

अब इस सामरिक विरोधाभास के टूटने की आशंका है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है, चीन अपनी फौजी ताकत के बूते ताइवान पर कब्जा कर सकता है। ऐसी स्थिति में अमेरिका युद्ध में कूद सकता है। परमाणु हथियारों से लैस दो महाशक्तियों के बीच युद्ध से दुनिया की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा।

अमेरिका को भय है कि वह लंबे समय तक चीन को ताइवान पर कब्जे से नहीं रोक सकेगा। इंडो-पेसिफिक कमांड के प्रमुख एडमिरल फिल डेविडसन ने मार्च में अमेरिकी कांग्रेस को बताया कि चीन 2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है। युद्ध के विनाशकारी नतीजे होंगे। चीन से 160 किलोमीटर दूर स्थित ताइवान सेमीकंडक्टर का प्रमुख उत्पादक है।

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