एफआरएआई की राजस्थान इकाई का विरोध प्रदर्शन

एफआरएआई राजस्थान ने प्रधानमंत्री से सीओटीपीए कानून में प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने का आदेश देने की अपील की

  • राजस्थान में करीब 3 लाख छोटे खुदरा दुकानकारों की आय छिन जाएगी और उन्हें उत्पीडऩ का शिकार होना पड़ेगा
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी अपील

फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने एवं सीओटीपीए कानून 2020 में प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने का आदेश देने की अपील की।

इन नए संशोधनों से पूरे भारत में तंबाकू एवं अन्य संबंधित उत्पाद बेचने वाले छोटे खुदरा दुकानदारों की आजीविका पर दोहरा आघात लगेगा। एफआरएआई देशभर के चार करोड सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दुकानदारों का प्रतिनिधि संगठन है और इसके सदस्य संगठनों के तौर पर उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम के कुल 34 रिटेल एसोसिएशन जुडे हैं।

एफआरएआई की राजस्थान इकाई ने आज विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राज्य में कई रोजमर्रा की चीजें बेचकर अपने परिवार को चलाने वाले करीब 3 लाख छोटे खुदरा दुकानदारों के हितों एवं उनकी आजीविका की रक्षा करने और उन्हें संभावित उत्पीडऩ से बचाने की अपील की।

एफआरएआई देश के सबसे गरीब तबके के हितों का प्रतिनिधित्व करता है और उनके रोजगार के अवसरों पर प्रभाव डालने वाले मुद्दे उठाता है, साथ ही अपना पक्ष रखने में अक्षम वर्ग की आवाज को सरकार के समक्ष लाने में मदद करता है।

एफआरएआई के सदस्य आसपास के आम लोगों की रोजाना की जरूरत की चीजों जैसे बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक, मिनरल वाटर, सिगरेट, बीड़ी, पान आदि की बिक्री कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इन जरूरी चीजों की बिक्री से इन छोटे दुकानदारों को होने वाला मुनाफा बमुश्किल 15,000 रुपया प्रतिमाह तक पहुंचता है, जो उनके परिवार के सदस्यों के लिए रोज दो वक्त के भोजन के लिए ही पर्याप्त हो पाता है।

कोरोना वायरस के कारण लगाए लॉकडाउन और आर्थिक मंदी ने छोटे खुदरा दुकानदारों की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाया है और ऐसे में उनकी कारोबारी गतिविधियों को प्रभावित करने वाली कोई भी नीति उनके लिए तबाही लाने वाली होगी।

एफआरएआई और देशभर से इसके सदस्य संगठन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सीओटीपीए विधेयक 2020 में प्रस्तावित अलोकतांत्रिक संशोधन से परेशान हैं, जिसमें खुली सिगरेट बेचने पर रोक लगाने की बात है।

इसमें 21 साल से कम उम्र के लोगों को सिगरेट उत्पाद बेचने पर रोक और दुकान में विज्ञापन व प्रमोशन को नियंत्रित करने समेत कई प्रावधान भी हैं। इन सभी संशोधनों का उद्देश्य बड़े रिटेलर्स को कोई नुकसान पहुंचाए बिना छोटे खुदरा दुकानदारों को नष्ट कर देना ही जान पड़ता है।

इस मसले पर पिंक सिटी पान मर्चेंट संस्था के प्रेसिडेंट और फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव गुलाब चंद खोड़ा ने कहा कि हम नम्रता के साथ माननीय प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि संबंधित मंत्रालय को तत्काल निर्देश दें कि प्रस्तावित सीओटीपीए संशोधन को वापस लिया जाए क्योंकि ये संशोधन बहुत सख्त हैं।

खुली सिगरेट बेचने जैसे कारोबार के पुराने तरीकों को संज्ञेय अपराध बनाने और छोटे-छोटे उल्लंघन के लिए 7 साल की कैद जैसे प्रावधान से लगता है कि छोटे व्यापारी जघन्य अपराधी हैं। जबरन वसूली या खतरनाक ड्राइविंग, जिससे जान भी जा सकती है, उसके लिए 2 साल के कारावास की सजा है, उसकी तुलना में यह प्रस्तावित सजा बहुत ही ज्यादा है।

सजा का यह प्रावधान पान, बीड़ी और सिगरेट बेचने वालों को किसी पर तेजाब फेंकने वाले या लापरवाही से किसी की जान लेने वाले अपराधियों की श्रेणी में खड़ा कर देता है। संशोधनों का मसौदा तैयार करने वाला कोई व्यक्ति दो वक्त की रोटी कमाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे गरीब, हाशिए पर जी रहे लोगों के प्रति इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है।

खोड़ा ने आगे कहा कि पहले से ही भारत में तंबाकू नियंत्रण को लेकर दुनिया के सबसे सख्त कानून हैं, जिस कारण से वैध तंबाकू की खपत में गिरावट आई है। वर्तमान कानूनों ने केवल अवैध और तस्करी कर लाए हुए सिगरेट को बढ़ावा दिया, जिससे असामाजिक तत्वों को फायदा हुआ।

तब फिर आखिर कोरोना वायरस, मधुमेह, मोटापा, मानसिक स्वास्थ्य और बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियां आदि जैसे जानलेवा खतरों से लडऩे के बजाय तंबाकू नियंत्रण के लिए अतिरिक्त सख्त कदम क्यों ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।

कोरोना वायरस से इतर इस तरह के नीतिगत बदलाव पूरी तरह से हमारे नीति निर्माताओं के हाथ में हैं और इनके मामले में मानवीय संवेदना का ध्यान रखा जाना चाहिए। आज हम पीडि़त और एक समुदाय के रूप में निशाना बनाए गए महसूस करते हैं और मोदी जी से दया की विनती करते हैं।