राज्य एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देगी गहलोत सरकार

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एससी आयोग को कोर्ट की तरह अफसरों को तलब करने के अधिकार मिलेंगे, विधानसभा सत्र में बिल लाएगी सरकार

 

जयपुर।  राज्य एससी आयोग को गहलोत सरकार संवैधानिक दर्जा देने जा रही है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने एससी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर प्रस्ताव कैबिनेट में भेज दिया है। अगली कैबिनेट में एससी आयोग के बिल को मंजूरी दी जा सकती है। इसके लिए बिल का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। राज्य एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा आयोग को संवैधनिक दर्जा नहीं देने पर कई बार सरकार से नाराजगी जता चुके हैं।

राज्य एससी आयोग के पास फिलहाल किसी को समन भेजकर तलब करने का अधिकार नहीं है। इसका गठन केवल प्रशासनिक आदेशों से ही हुआ है। अब संवैधानिक दर्जा मिलने से इसे महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग की तरह कई अधिकार मिल जाएंगे। एससी आयोग को दलित अत्याचारों के मामलों में अफसरों को तलब करने, प्रसंज्ञान  लेकर रिपोर्ट तलब करने और सरकार को निर्देश  जारी करने के अधिकार मिल जाएंगे। एससी वर्ग पर अत्याचार और उसके अधिकारों को लेकर भी आयोग रिपोर्ट तैयार कर सरकार को निर्देश जारी कर सकेगा।

अभी एससी आयोग के पास अधिकार नहीं है

राज्य एससी आयोग के पास अभी अफसरों को तलब करने और सरकार को निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है। संवैधानिक दर्जा नहीं होने से एसससी आयोग मानवाधिकर आयोग की तरह सुनवाई करके न तो निर्देश  जारी कर सकताहै न किसी अफसर को तलब कर सकता है।

30 नंबर 2011 में हुआ था राज्य एससी आयोग का गठन, अब तक तीन अध्यक्ष बने

राज्य एएसी आयोग का गठन अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में 30 नवंबर 2011 को सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग की अधिसूचना से किया गया था।  टीकमचंद कांत को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद पिछले बीजेपी राज में बीजेपी नेता सुंदरलाल को एससी आयोग अध्यक्ष बनाया। इस समय असंतुष्ट विधायक खिलाड़ीलाल बैरवा आयोग के अध्यक्ष हैं।

मंत्री टीकाराम जुली बोले— एससी आयोग के संवैधानिक दर्जा देने के लिए लाएंगे बिल

सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जुली ने कहा कि संवैधानिक दर्जा देने के लिए बिल की फाइल मेरे स्तर से मंजूर हो चुकी है। जल्द ही इसे कैबिनेट में रखकर हम विधानसभा में इसका बिल पारित करवाएंगे। सीएम चाहते हैं कि जल्द संवैधानिक दर्जा मिले। आयोग को अलग से कुछ शक्तियां मिलेंगी, जिससे कमजारे वर्ग के लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी।

दलित बड़ा वोट बैंक, चुनावी साल में सियासी मैसेज देने का प्रयास

दलित वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोटर  रहा है। बसपा और दूसरी छोटी पार्टियों ने राजस्थान में दलित वर्ग के वोट में पहुंच बनाई है जिसका कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। दलित अत्याचारों को लेकर राजस्थान चर्चित रहता है। हाल ही दलितों पर अत्याचार की घटनाओं से खूब सियासी विवाद हुआ। कांग्रेस सरकार की रणनीति अब चुनावी साल से पहले दलितों को मैसेज देने की है ताकि पिछली घटनाओं को लेकर बना नरेटिव बदला जा सके। एससी आयोग को संवैधानिक अधिकार देकर सियासी मोर्चे पर मैसेज देने की कोशिश मानी जा रही है।

खिलाड़ीलाल बैरवा
खिलाड़ीलाल बैरवा

मौजूदा एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा नाराज

मौजूदा एससी आयोग अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा दलितों से जुड़े सियासी मुद्दों को लेकर सीएम खेमे से नाराज चल रहे हैं। बैरवा दलित अत्याचार की घटनाओं पर खुलकर नाराजगी जता चुके हैं। अब एससी आयोग को संवैधानिक अधिकार देने की प्रक्रिया तेज होने के पीछे उनकी नाराजगी किो भी बड़ा कारण माना जा रहा है।

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