गुजरात: कोरोना के इलाज में आयुर्वेद ने बढ़ाया विश्वास, घर जा चुके 586 सिम्टोमेटिक मरीज

Symmetric patient
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गुजरात में इस महामारी में एलोपैथी के स्थान पर भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद उम्मीद जगा रही है। 15 मई को क्लीनिकल ट्रायल व उपचार की अनुमति मिलने के बाद से अब तक अकेले गुजरात में 586 ऐसे मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं

जलतेदीप विसं, सूरत
दुनियाभर में 60 लाख से अधिक पॉजिटिव केेेस व लगभग 3 लाख 70 हजार से ज्यादा मौतों की वजह बन चुके कोविड-19 की अभी तक न तो वैक्सीन है और न कोई दवा। लेकिन, इस महामारी में एलोपैथी के स्थान पर भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद उम्मीद जगा रही है। 15 मई को क्लीनिकल ट्रायल व उपचार की अनुमति मिलने के बाद से अब तक अकेले गुजरात में 586 ऐसे मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं, जो लक्षण वाले सिम्टौमेटिक माइल्ड मरीज थे। इसके अलावा 1076 और मरीज ठीक हो चुके हैं, जिन्हें आजकल मेंहुए ही डिस्चार्ज किया जा रहा है।

गुजरात में आयुर्वेद पद्धति से इलाज लेने के बाद 1547 ऐसे मरीजों के शरीर से भी कोराना जा चुका है, जो एसिम्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले थे।

स्थानीय एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित जानकार के अनुसार इसके अलावा आयुर्वेद पद्धति से इलाज लेने के बाद 1547 ऐसे मरीजों के शरीर से भी कोराना जा चुका है, जो एसि टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले थे। लक्षण वाले 1853 कोरोना मरीज आयुर्वेद विभाग को मिले थे। इधर, सूरत के सिविल अस्पताल में भर्ती कोरोना के 4 ऐसे मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं, जो माइल्ड क्रिटिकल यानी गंभीर बीमार थे।

इन मरीजों में कोरोना के साथ अन्य बीमारियां भी थीं। कोरोना पीडि़त 79 ऐसे मरीज भी ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके, जिन्होंने एलोपैथी की बजाय आयुर्वेद को चुना। बिना लक्षण वाले 315 कोरोना मरीज आयुर्वेद पद्धति से इलाज कराकर ठीक होकर घर जा चुके हैं। गुजरात में राज्य सरकार ने छूट दे रखी है कि कोरोना पीडि़त लिखित सहमति देकर एलोपेथी के अलावा आयुर्वेदिक या होम्योपैथी इलाज भी करवा सकता है।

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वर्तमान में गुजरात के 8 सिविल अस्पतालों में सरकार ने 24 घन्टे कोरोना मरीजों को आयुर्वेदिक औषध के लिये 51 वैद्यों की विशेष नियुक्ति कर रखी है। कई ग भीर बिमारियों के कोरोना मरीज भी ठीक हुये हैं। आयुर्वेद वैद्यों के मुताबिक मरीजों को शंसमनी वटी, सितोपलादि चूर्ण, लवंगादि वटी, सुदर्शन घनवटी, खडबिंदु तेल और तुलसी चूर्ण आदि दिया जाता है।

गर्म पानी कोरोना के मरीजों का 50 प्रतिशत इलाज स्वत: कर देता है। उल्लेखनीय है कि कोरोना मरीजों का आईएमसीआर की गाइडलाइन के अनुसार इलाज होता है, लेकिन राज्य की स्वास्थ्य सचिव जयंती रवि ने पिछले दिनों सहमति दी थी कि कोरोना पीडि़त चाहे तो होम्योपैथी या आयुर्वेदिक दवा ले सकते हैं।

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डॉक्टर अपनी मर्जी से आयुर्वेदिक दवा नहीं दे सकते। यहां के वैद्यों का मानना है कि आयुर्वेदिक से कोरोना का इलाज 100 प्रतिशत संभव है। कोरोना के लक्षण वाले और गम्भीर मरीजों का भी इलाज संभव है। एलोपैथी में सभी मरीजों पर लगभग एक ही प्रकार की दवा दी जाती है जबकि आयुर्वेद में मरीज की प्रकृति के अनुसार इलाज किया जाता है। गुजरात आयुष विभाग की निदेशक भावना पटेल का कहना है कि प्रदेश के 8 अस्पतालों में आयुर्वेदिक इलाज दिया जा रहा है।

हमारा प्लान है कि जहां भी 100 से ज्यादा मरीज हों, वहां आयुर्वेदिक इलाज शुरू हो। खास बात यह है कि मरीज भले ही अस्पताल में एडमिट होता है, लेकिन उसकी सहमति से ही आयुर्वेदिक इलाज किया जा रहा है। मरीज चाहे तो आयुर्वेदिक, एलोपैथिक या होम्योपैथिक कोई इलाज ले सकता है।