वास्तु शास्त्र में कमरों और पूजा घर से लेकर रसोईघर तक के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं। रसोईघर के सही वास्तु से घर के लोगों की सेहत, किस्मत और रिश्ते तय होते हैं। वास्तु एक्सपर्ट डॉ.आरती दहिया से जानिए, सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत के लिए कैसा हो रसोईघर का वास्तु।
रसोईघर के वास्तु नियम
घर के हर हिस्से को वास्तु शास्त्र के मुताबिक बनवाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. घर के हर सदस्य की अच्छी सेहत और आपसी रिश्तों के लिए रसोईघर के वास्तु का सही होना भी बहुत जरूरी है।
- अग्नि का हमारे स्वास्थ्य, यश और संपन्नता पर गहरा प्रभाव पड़ता है. वास्तु में अग्नि तत्व को ठीक से संचारित होने के लिए रसोईघर का आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में होना उचित माना जाता है।
- उतर दिशा में रसोई बनाना खतरनाक होता है. यह कुबेर भगवान की दिशा है. इस दिशा में रसोई बनाने से आपके खर्चे बढ़ जाते हैं।
- रसोईघर की दीवारों पर काला और नीला रंग न करवाएं।
- रसोईघर की स्लैब (स्लैब-जिस पर चूल्हा रखा जाता है) पूर्व या आग्नेय कोण में हो तो अच्छा रहता है। ऐसे में रसोई में काम करने वाले का मुख स्वत: ही पूर्व दिशा की ओर रहता है।
- रसोई का सामान रखने के लिए स्लैब, अलमारी आदि दक्षिण या पश्चिम दिशा में बनाना ठीक रहता है।
- दालें, अनाज और मसालों के भंडारण की व्यवस्था वायव्य कोण में करनी चाहिए।
- रसोईघर की खिड़कियां बड़ी हों तो उत्तम रहता है. इसके अलावा रसोईघर में प्राकृतिक रोशनी और हवा की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
- गैस का चूल्हा या स्टोव आदि घर के मुख्य द्वार के बाहर से नहीं दिखने चाहिए. यदि आपके घर में ऐसा हो रहा हो तो इसे छिपाने के लिए हल्का-सा पर्दा लगाना श्रेयस्कर होता है।
- रसोईघर किसी भी कीमत पर टॉयलेट के ऊपर या नीचे तथा सीढयि़ों आदि के नीचे नहीं बनाना चाहिए. ऐसे रसोईघर स्वास्थ्य पर तो बुरा असर डालते ही हैं, साथ ही धन और भाग्य को भी दुष्प्रभावित करते हैं।