बच्चो और शिक्षकों की मॉनिटरिंग व्यवस्था कैसे सुनिश्चित करेगी सरकार: संयुक्त अभिभावक संघ

जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर खोलने के निर्णय पर एक बार फिर सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि ” राज्य सरकार निजी स्कूल, कॉलेज, कोंचिग सेंटर संचालकों के दबाव में आकर शिक्षकों और बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की योजना तो बना दी किन्तु सरकार ने अभी तक राज्य के लाखों स्कूल,कॉलेज और कोचिंग सेंटर एवं उनके लाखों शिक्षकों सहित पढ़ने वाले करोड़ो बच्चों की मॉनिटरिंग व्यवस्था कैसे सुनिश्चित करेगी इसकी जानकारी ना राज्य सरकार दे रही है और ना ही निजी स्कूल संचालक इसकी जानकारी सार्वजनिक कर रही है।

प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में 50 हजार निजी स्कूल इसके अलावा लाखो सरकारी स्कूल है। निजी स्कूलों के 11 लाख शिक्षक है इसके अलावा सरकारी शिक्षक अलग से है क्या 12 दिनों में राज्य सरकार उन सबकी कोविड़ जांच करने में सक्षम है, जो करोड़ो बच्चे स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर पढ़ने जाएंगे क्या राज्य सरकार उनकी जांच करने में सक्षम है।

अभी हाल ही में 1 जनवरी से कर्नाटक सरकार ने स्कूलो को खोलने के आदेश दिए है जिसके बाद से बहुत सारे शिक्षक कोरोना की चपेट में आ गए, कुछ ऐसा ही हाल मेघालय, आंध्र प्रदेश, हरियाणा में भी देखने को मिला था, हरियाणा तो प्रदेश का पड़ोसी राज्य है वहां जब स्कूल खोले गए थे तो 150 से अधिक बच्चे कोरोना की चपेट में आ गए थे जिसके बाद एक दिन में स्कूलो को बंद करने का निर्णय लिया गया था।

राज्य सरकार से संयुक्त अभिभावक संघ अपील करती है कि प्रदेश की जनता को सतर्कता का संदेश देने की बजाय वह खुद भी उसका पालन करे। उन नादान और भोले-भाले बच्चो के जीवन से पढ़ाई के नाम पर खिलवाड़ करने की बजाय राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी नजरें गड़ाए। आज प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नही है कि स्कूल और कॉलेज खोलने के बाद स्थिति बिगड़ भी जाये तो राज्य की व्यवस्था इतनी मजबूत नही है वह काबू में कर पाए। सरकार को स्कूल, कॉलेज खोलने निर्णय पर गंभीरता से विचार कर किसी भी तरह की जल्दबाजी बिल्कुल भी नही करनी चाहिए। 

बच्चे या शिक्षक कोई भी पॉजिटिव आता है तो जिम्मेदारी किसी सरकार की या स्कूल संचालक की
राज्य सरकार ने भले ही 18 जनवरी से स्कूल, कॉलेज खोलने के निर्देश दे दिए है जिससे प्रदेश के अभिभावकों में चिंता सताने लगी है, पहले अभिभावक काम-धंधो को लेकर चिंतित था, किन्तु अब उसे स्वास्थ्य के प्रति भी सजग रहने की चुनोती सामने खड़ी कर दी गई है, ऐसी स्थिति में किसी बच्चे या शिक्षक के साथ कोई दुघर्टना घटती है या कोई कोरोना संक्रमित आता है तो उसके इलाज की जिम्मेदारी सरकार खुद लेगी या स्कूल, कॉलेज संचालक वह जिम्मेदारी संभालेंगे। क्योकि निजी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर केवल अभिभावकों से फीस वसूलने को लेकर सरकार पर स्कूल खोलने का दबाव बना रही है, इनको ना बच्चो के स्वास्थ्य से कोई सरोकार है और ना ही बच्चों की पढ़ाई से कोई सरोकार है।