नई दिल्ली। त्योहारी सीजन में उपहारों का लेन-देन सामान्य बात है। कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को दिवाली पर बोनस के रूप में नकदी या उपहार देती हैं। अगर आपको भी दशहरा में कोई उपहार मिला है या दिवाली में मिलने वाला है तो आयकर नियमों के तहत आपको टैक्स का भी भुगतान करना होगा।
आयकर कानून-1961 की धारा 56(2) के तहत मिले उपहारों को अन्य स्रोतों से आय माना जाता है। अगर आपको एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक कीमत का उपहार मिला है तो इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स भी चुकाना होगा।
आयकर कानून के मुताबिक, अगर कंपनी से कोई गिफ्ट वाउचर मिला है या 5,000 रुपये से कम राशि का तोहफा मिला है तो टैक्स नहीं लगेगा। पर, एक वित्त वर्ष में यह रकम 5,000 से अधिक होती है तो इसे वेतन का हिस्सा माना जाता है। इस पर कर्मचारी को टैक्स देना होता है।
दोस्तों का गिफ्ट भी दायरे में
दोस्तों से मिले उपहार को अन्य स्रोतों से आय माना जाता है। इसके लिए एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये की सीमा तय है। अगर आप दोस्तों से एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक कीमत का उपहार लेते हैं तो टैक्स का भुगतान करना होगा।
चल-अचल संपत्ति मिली हो तो…
अगर उपहार में चल-अचल संपत्ति मिली है तो उसकी कीमत और स्टांप शुल्क की कीमत के बीच के अंतर की रकम को कर योग्य माना जाता है। मान लीजिए, अगर कोई आपको संपत्ति ट्रांसफर करता है और उसकी असली कीमत एवं स्टांप शुल्क की कीमत के बीच 50,000 रुपये से ज्यादा का अंतर है तो उसे कर योग्य माना जाएगा।
इन पर नहीं देना होगा कोई कर
- पति, पत्नी, भाई, बहन, माता-पिता से मिले उपहार पर कोई टैक्स नहीं लगता है। विरासत या वसीयत में मिला तोहफा या संपत्ति।
- हिंदू अविभाजित परिवार में किसी भी सदस्य से मिला उपहार।
- आयकर कानून की धारा 10 (23सी) के तहत किसी फंड/फाउंडेशन या अन्य शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या अन्य मेडिकल संस्थान, ट्रस्ट से मिला गिफ्ट।
- धारा 12ए या 12एए के तहत रजिस्टर किसी चैरिटेबल या धार्मिक ट्रस्ट से मिला गिफ्ट।
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