मान-सम्मान पाना है तो अपने मन में विनय और त्याग को पहले लाओ : पं. ऋषि शास्त्री

बूंदी। दसलक्षण पर्व पर दिगंबर जैन मंदिरों में चल रहे कार्यक्रमों के तहत शनिवार को उत्तम मार्दव धर्म की मान सम्मान की लालसा छोड़कर मन में कोमलता जाग्रत करने के लिए पूजा-अर्चना की गई।

नैनवां रोड की रजतगृह कॉलोनी के श्रीशीतलनाथ दिगंबर जैन मंदिर में नित्य नियम पूजा, अभिषेक, शांतिधारा की गई। मंदिर समिति अध्यक्ष बिरधीचंद धनोप्या ने बताया कि पं. ऋषिजी शास्त्री द्वारा विधिविधान से भगवान का अभिषेक व शांतिधारा करवाई गई। शांतिधारा का सौभाग्यलाभ अजय, अशोक सामरिया परिवार ने प्राप्त किया।

पं. शास्त्री ने कहा कि कोमलता का नाम मार्दव है। उत्तम मार्दव क्षमा के समान है। दसलक्षण महापर्व के तीसरे दिन रविवार को उत्तम आर्जव धर्म की पूजा होगी। सुबह पूजा-अर्चना कर शाम को आरती की गई। इसमें पदम हरसौरा अलोद वाले, समाजसेवी महावीर धनोप्या, कैलाशचंद पाण्ड्या दबलाना वाले, तरुण सेठिया, मंत्री रमेशचंद श्रीमाल, कोषाध्यक्ष कपूरचंद, उपाध्यक्ष संजय जैन, जितेंद्र हरसौरा, आश्रय हरसौरा जैन, पारस जैन और समाजबंधु शामिल रहे।

मनुष्य के लिए निंदा से ज्यादा प्रशंसा कष्टदायक

पं. शास्त्री ने कहा कि इंसान अपने जीवन में मान-सम्मान के लिए हमेशा भागता रहता है। प्रदर्शन, प्रतिष्ठा और प्रभाव के लिए इंसान अपनी जिंदगी बिता देता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं करता, जिससे मान-सम्मान उसे बिना मांगे ही मिल जाए। मान-सम्मान पाना है तो अपने मन में विनय और त्याग को पहले लाओ, तभी सम्मान मिलेगा। उत्तम मार्दव धर्म के अवसर पर मंदिर परिसर में उन्होंने कहा कि शाम की प्रवचनसभा में कहा कि मनुष्य के लिए निंदा से ज्यादा प्रशंसा कष्टदायक है। निंदा से व्यक्ति अपने को सुधार सकता है, लेकिन प्रशंसा सुनकर उसमें मान और कषाय दोनों बढ़ते हैं। इंसान अपने को दूसरे के सामने बड़ा साबित करने की लालसा रखता है। यही लालसा उसके आत्मकल्याण में बाधक बनती है।

केपाटन-करवर-रोटेदा-इंद्रगढ़-जमीतपुरा के मंदिरों में भी रहा उल्लास

केशवरायपाटन. श्रीमुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र में पर्युषण के दूसरे दिन उत्तम मार्दव पर्व पर जैन समाज के महिला-पुरुषों ने जिन स्तुति, मंगलाष्टक के बाद शांतिधारा-अभिषेक व मंडल विधान किया। शास्त्री रिकी जैन ने बताया कि संयम, त्याग, तपस्या का पर्व होने से रोजाना शास्त्र प्रवचन के बाद बच्चों की पाठशाला लगाई जा रही है। शाम को सामूहिक आरती, भक्तांबर पाठ का सामूहिक आयोजन किया जाता है। धार्मिक प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें उत्साह से हिस्सा लिया गया।

करवर. कस्बे में जैन समाज द्वारा दशलक्षण महापर्व के द्वितीय दिवस शनिवार को उत्तम मार्दव धर्म की पूजा हुई। समाज के छैलबिहारी मंगल ने बताया कि सुबह श्रीदिगंबर जैन मंदिर में नित्य अभिषेक, शांतिधारा, दशलक्षण मंडल पूजन किया गया। शांतिधारा के पुण्यार्जक कनकमल जैन, अंकितकुमार कोटिया रहे। शाम को प्रशांत भैय्या के प्रवचन हुए। धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महिला मंडल ने बच्चों की भजन प्रतियोगिता कराई। श्रद्धालुओं ने भी उत्साह से भाग लिया।

देईखेड़ा. रोटेदा कस्बे में अतिप्राचीन मंदिर में सुबह श्रीजी का अभिषेक करके श्रीमुनिसुव्रतनाथ भगवान की शांतिधारा की गई। शांतिधारा के पुण्यार्जक अमृतकुमार, महावीरकुमार, नेमीचंद, महेंद्रकुमार धानोत्या खटकड़ वाले रहे। समाज के मयंक बरमुंडा और नीलेश धानोत्या ने बताया कि उत्तम मार्दव धर्म पूजा, सोलह कारण पूजा, संभवनाथ पूजा, अभिनंदन पूजा, सुमतिनाथ भगवान की पूजा, पंचमेरुजी, चांदनपुर के महावीर स्वामी, चंपापुर क्षेत्र व दशलक्षण पूजा की गई। शाम को भगवान की आरती, णमोकार मंत्र व भक्तांबर का जाप किया गया।

इंद्रगढ़. शहर में श्रीअग्रवाल दिगंबर जैन मंदिर में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा हुई। इसमें पुण्यार्जक महेंद्रकुमार, सन्मति, विशाल, अंकुर, वंश जैन हरकारा रहे। मंदिर में जैन महिला मंडल द्वारा नित्यपूजन-पाठ किए जा रहे हैं। शनिवार को उत्तम माधव धर्म का दिन है। यहां पर जैनबंधुओं द्वारा व्रत-उपवास रख करके साधना की जा रही है।

जमीतपुरा. कस्बे के श्रीचंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर में सुबह श्रीजी के अभिषेक व शांतिधारा की गई। इसमें पुण्यार्जक सुरेंद्रकुमार जैन, जम्मूकुमार जैन, सुशील जैन रहे। पर्युषण पर्व पर समाज के प्रेमचंद जैन, चंद्रप्रकाश जैन, ओमप्रकाश जैन, प्रकाशचंद जैन, मनोज जैन, राजेंद्र कुमार जैन मौजूद रहे। पं. शास्त्री ने कहा कि इंसान अपने जीवन में मान-सम्मान के लिए हमेशा भागता रहता है। प्रदर्शन, प्रतिष्ठा और प्रभाव के लिए इंसान अपनी जिंदगी बिता देता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं करता, जिससे मान-सम्मान उसे बिना मांगे ही मिल जाए।

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