सेना का नकाब हर रोज सरकाते ही जा रहे हैं इमरान खान

इमरान खान
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सेना के खिलाफ खुलकर सामने आए पूर्व पीएम

लाहौर। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ‘एस्टेब्लिशमेंटÓ को पूरी तरह बेनकाब कर देने पर उतारू हैं। वे ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं, जिन्हें बोलना पहले वर्जित समझा जाता था। पाकिस्तान में सेना और खुफिया तंत्र के नेतृत्व को एस्टेब्लिशमेंट नाम से जाना जाता है। आम धारणा रही है कि देश में असल सत्ता एस्टेब्लिशमेंट के हाथ में ही होती है, लेकिन इसे कहने का साहस इसके पहले किसी राजनेता ने नहीं दिखाया था।

‘संपूर्ण सत्ता’ का इस्तेमाल करती है पाक सेना

इमरान खान
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पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने गुरुवार को बेलाग कहा कि पाकिस्तान में नागरिक सरकार की तुलना में एस्टेब्लिशमेंट ‘संपूर्ण सत्ताÓ का इस्तेमाल करता है। खान लाहौर में पत्रकारों के एक समूह से बात कर रहे थे। उन्होंने यह बात भी दो टूक कही कि प्रधानमंत्री रहते हुए जब उन्होंने रूस की यात्रा की, तो उसके बाद उनके लिए स्थितियां प्रतिकूल हो गईं।

पाकिस्तान को स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करना चाहिए

इमरान खान ने कहा कि सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा चाहते थे कि पाकिस्तान यूक्रेन के खिलाफ सैनिक कार्रवाई के मामले में संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोट डाले। जबकि उनकी राय थी कि पाकिस्तान को मतदान से गैर-हाजिर रहना चाहिए। इमरान खान ने बताया- ‘तब सेनाध्यक्ष ने मुझ से कहा था कि उन पर इस मामले में अमेरिका का दबाव है। जबकि मैंने उनसे कहा कि पाकिस्तान को स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करना चाहिए।Ó

इमरान खान ने दोहराया कि पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री की नियुक्ति के सवाल पर भी उनके सेना से मतभेद उभरे थे। सेना ने अलीम खान को मुख्यमंत्री बनाने को कहा था। इमरान खान के मुताबिक तब उन्होंने सेना से कहा था कि अलीम खान पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। तब पीटीआई ने सेना की सलाह की अनदेखी करते हुए उस्मान बजदार को मुख्यमंत्री बना दिया था।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक ऐसे बयानों से इमरान खान लगातार एस्टेब्लिशमेंट को अधिक नाराज करते जा रहे हैं। लेकिन साथ ही इससे एस्टेब्लिशमेंट किस तरह रोजमर्रा के स्तर पर नीति तय करने और प्रशासन में निर्देश देता है, ये बात भी जनता के सामने आ रही है। इसलिए ऐसे बयानों का इमरान खान के राजनीतिक भविष्य के साथ-साथ प्रशासन में सेना की भूमिका के लिए भी दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

पाकिस्तान के मीडिया में आम तौर पर सेना पर टिप्पणी से बचा जाता है। लेकिन इमरान खान के बयानों का यह असर हुआ है कि सेना की भूमिका यहां भी चर्चित हो गई है। उधर इमरान खान के समर्थक लगातार एस्टेब्लिशमेंट को निशाने पर रखे हुए हैं। उनका आरोप है कि बीते अप्रैल में इमरान खान की सरकार गिराने के पीछे असल हाथ सेना का ही था।

अभी जनरल कमर जावेद बाजवा अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में हैं। उनकी जगह कौन सेनाध्यक्ष बनेगा, यह इस समय पाकिस्तान में सबसे चर्चित मुद्दा है। इस बीच जनरल बाजवा ने गुरुवार को बहालपुर और ओकारा में हुए विदाई समारोहों में हिस्सा लिया। दोनों जगहों पर अपने संबोधन में पाकिस्तानी सेना के ‘ऊंचे प्रतिमानोंÓ की तारीफ की और सैनिकों को अपना पेशेवर कौशल बढ़ाने की सलाह दी।

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