बाई का गड़ा गांव में मवेशियों की बीमारी से हो रही है मौत, उपचार नहीं मिलने से परेशानी

बांसवाड़। गढ़ी उपखंड में ग्राम पंचायत मेतवाला के बाई का गड़ा गांव में विचित्र बीमारी के चलते मवेशियों की मौत हो रही है। जिससे पशुपालक चिंतित हैं। पिछले एक महीने से बाई का गड़ा गांव में गाय एवं भैंसों में लाइलाज बीमारी फैल रही है। गांव वाले पिछले 10 दिनों से आसपास के कंपाउंडर एवं पशु चिकित्सकों द्वारा इलाज करा रहे हैं लेकिन पशुपालकों को किसी भी प्रकार की राहत अब तक नहीं मिल पाई है।

गांव में अभी तक 7 मवेशियों की बीमारी के चलते मौत हो चुकी है एवं लगातार मवेशियों की मौतों का सिलसिला जारी है। गांव में मवेशियों को फैल रही इस बीमारी को लेकर पशुपालन विभाग के उपनिदेशक वीएस भाटी को ग्रामीणों ने सूचना दी। मवेशियों की मौत की सूचना के बाद पशुपालन विभाग के द्वारा दो कंपाउंडर गांव में मवेशियों के इलाज के लिए भेजे गए लेकिन फिर भी इसका कोई असर नहीं हो पाया है और लगातार मवेशियों की मौत होती जा रही है। मंगलवार को भी एक भैंस की अचानक मौत हो गई।

लालसिंह ने बताया कि गांव के पर्वत सिंह की 6 भैंस व एक गाय पिछले कई दिनों से बीमार थी जिसमें से दो भेंसों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा नटवर सिंह, लालसिंह एवं लसुड़ा निनामा की एक-एक भैंस वर्तमान में बीमार चल रही है। वहीं पृथ्वी सिंह कि 3 दिन से तीन भैंस एवं एक बकरी बीमार थी जिसमें से 3 भैंसों ने दम तोड़ दिया है। वहीं शिव भारती एवं लसुड़ा की एक-एक भैंस की बीमारी के चलते मौत हो गई।

ग्रामीण लाल सिंह, सुदर्शन सिंह, वीरभद्र, शिव भारती, पर्वत सिंह, योगेंद्र सिंह, नागेंद्र सिंह आदि ने बताया कि इस बीमारी से गांव के मवेशी दम तोड़ रहे हैं। बाई का गड़ा निवासी भगवतसिंह ने बताया कि अब तक बाई का गड़ा में 50 से ज्यादा पशु बीमार हैं। एक भैंस की कीमत 70 से 80 हजार रुपए तक है। मवेशियों की लगातार मौत से पशुपालक चिंितत हैं। गांव में कार्यरत पशुधन सहायक ने बताया कि बाई का गड़ा में करीब 30 से 40 मवेशियों में खुरपका एवं मुंहपका नामक वायरस फैल गया है। इसका इलाज कर रहे हैं। उच्चाधिकारियों को भी इस मामले में अवगत करा दिया है।

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